Lok Sabha Election : कश्मीर की सियासत में नए दौर का आग़ाज़, ख़ानदानी सियासत के दौर का ख़ात्मा !
J&K Politics : जम्मू कश्मीर की सियासत में नए दौर का आग़ाज़ हो चुका है. घाटी की पांच सीटों में से 2 पर भाजपा और 1 पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत के बाद, जम्मू कश्मीर में परिवारवाद की राजनीति पर काफी असर पड़ा है. जीत के आंकड़ों के मुताबिक, परिवारवाद पर बीजेपी के नारे ने काम किया है. जेल में रहकर चनाव लड़ने वाले इंजीनियर रशीद ने उमर अब्दुल्ला की जीत का सपना तोड़ दिया है.
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Jammu and Kashmir : जम्मू कश्मीर में 2024 का लोकसभा चुनाव कई लिहाज़ से काफी अहम रहा. अब तक यहां की सियासत चुंनिंदा खानदानों के ही इर्दगिर्द घूमती रही है . अब्दुल्ला और मुफ्ती खानदान, इस खानदानी सियासत के दो अहम खम्भे (Pillar) माने जाते हैं.
मौजूदा दौर में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती इसका प्रतिनिधित्व करते हैं और दोनों को ही इस बार शिकस्त का सामना करना पड़ा. बता दें कि जेल से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इलेक्शन लड़ रहे इंजीनियर रशीद ने बारामूला लोकसभा सीट पर उमर अब्दुल्ला को एक बड़े मार्जिन से शिकस्त दी है. ऐसा लगता है कि इलेक्शन में हिस्सा न लेने के बावजूद बीजेपी का जम्मू कश्मीर में खानदानी सियासत को खत्म करने का नारा इस बार काम कर गया.
वहीं, अनंतनाग-राजौरी लोकसभा से महबूबा मुफ्ती को लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा. नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ ने उन्हे शिकस्त दी . ये दोनों की हार चौंकाने वाली रही .
बता दें कि इंजीनियर रशीद ने न सिर्फ उमर अब्दुल्ला को बल्कि पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन को भी तीसरे नंबर पर ढकेल दिया. जो खुद भी पारिवारिक सियासत के ही सिलसिले की एक कड़ी हैं...