श्रीनगर की 120 साल पुरानी ये इमारत बनी है आकर्षण का केंद्र, मौजूद है राजा हरीसिंह का तख़्त
यह गैलरी सबसे अलग है क्योंकि इसने एक ही छत के नीचे कश्मीरी परंपरा के मुख्तलिफ़ पहलुओं को जमा किया है. कश्मीरी संस्कृति के बारे में जानने की इच्छा रखने वाले किसी भी शख़्स के लिए यह एक ज़रूरी जगह है.
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Heritage & Culture Centre Bait Ul Meeras: दुनियाभर कई ऐसे स्पॉट हैं जिसे देखने के लिए दूर विदेशों से लोग आते रहते हैं. ऐसी ही एक इमारत कश्मीर की वादियों में भी मौजूद है. यह इमारत पुराने शहर के अली कदल में झेलम के तट के पास मौजूद शहर-ए-खास के एक कोने पर मौजूद है. जिसे हेरीटेज सेंटर बना दिया गया है. 120 साल से भी ज्यादा पुराने मकान को हेरीटेज सेंटर बनाया गया है. यह पर्यटकों को आकर्षित करेगा इस उम्मीद में इसे हेरिटेज बिल्डिंग बना दिया गया है. इसे नाम दिया गया 'Baitul Meeras' बताया जा रहा है कि श्रीनगर में सबसे पुरानी बिल्डिंग है.
कश्मीर की पहचान बताने वाला म्यूज़ियम
इस इमारत को बेहद ही पुराना बताया जाता है. कहते है कि इसे मुगलों के दौर से भी पहले बना दिया गया था. इस पुरानी बिल्डिंग में मुगलों के दौर की चीज़े रखी गई है. जम्मू कश्मीर पर राज करने वाले उन बादशाहों की वह सभी चीज़ें रखी गई हैं जिनका वह इस्तेमाल किया करते थे. इस इमारत में एक म्यूज़ियम भी बना दिया गया है जो कश्मीर की पहचान बताती हैं कि दशकों पहले कश्मीर कैसा था और क्या चीज़ें लोग इस्तेमाल करते थे.
राजा हरि सिंह की गद्दी भी है मौजूद
इस म्यूज़ियम में महाराजा हरि सिंह की वह गद्दी भी रखी हुई है जिस पर वह बैठा करते थे, इस गद्दी को आज भी यहां पर संभाल कर रखी हुआ है. इस म्यूज़ियम में गैलरी की स्थापना विशेष रूप से युवा पीढ़ी को कश्मीर के अतीत के बारे में जागरूक करने के लिए की गई है.
हेरीटेज बिल्डिंग के इंचार्ज हकीम जावेद कहते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी कश्मीरी संस्कृति और विरासत से वाक़िफ नहीं है. हमने उन्हें अपने अतीत के बारे में बताने के लिए इस विरासत और सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की है. हम मुस्तक़बिल में स्कूली बच्चों से बातचीत करने और उन्हें आमंत्रित करने की भी योजना बना रहे हैं ताकि वे हमारी संस्कृति और विरासत के बारे में जान सकें.
एक ही छत के नीचे मौजूद है कश्मीर की परंपराएं
यह गैलरी सबसे अलग है क्योंकि इसने एक ही छत के नीचे कश्मीरी परंपरा के मुख़तलिफ़ पहलुओं को जमा किया है. कश्मीरी संस्कृति के बारे में जानने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक ज़रूरी जगह है. यहां घूमने आए सैय्याहों का कहना है कि वह कश्मीर के पारंपरिक परिधानों के संग्रह से प्रभावित हुए हैं.