कश्मीरी का लाल चौक और उसकी अनसुनी तारीख़
कश्मीर के श्रीनगर में व्यापारिक केन्द्र के रूप में मौजूद है लाल चौक..इस चौक का इतिहास एक दशक पुराना है...कश्मीर के लाल चौक का नाम एक सिख वाम नेता और बुद्धिजीवी बीपीएल बेदी ने मॉस्कों के मशहूर 'रेड स्क्वायर' के नाम पर रखा था...ऐसा भी कहा जाता है कि 1917 में मॉस्कों की सत्ता में लेनिन की वापसी पर उत्साहित वामपंथियों ने कश्मीर के इस चौक पर जश्न मनाते हुये इसका नामकरण मॉस्कों के रेड स्कावायर के नाम पर लाल चौक रख दिया...यहां पर 1980 में एक घण्टाघर का निर्माण किया गया जो इस चौक की भव्यता को चार चांद लगाता है...
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श्रीनगर :-कश्मीर का वो ऐतिहासिक चौक जिसका नामकरण 1917 में कश्मीरी वामपंथियों द्वारा मॉस्कों में लेनिन के सत्ता में काबिज होने पर वहां के रेड स्कावयर के नाम पर रखा गया, वो है लाल चौक। आइये जानते है लाल चौक के इतिहास के बारे में, कश्मीर के श्रीनगर में व्यापारिक केन्द्र के रूप में मौजूद है लाल चौक, इस चौक का इतिहास एक दशक पुराना है। कश्मीर के लाल चौक का नाम एक सिख वाम नेता और बुद्धिजीवी बीपीएल बेदी ने मॉस्कों के मशहूर 'रेड स्क्वायर' के नाम पर रखा था। ऐसा भी कहा जाता है कि 1917 में मॉस्कों की सत्ता में लेनिन की वापसी पर उत्साहित वामपंथियों ने कश्मीर के इस चौक पर जश्न मनाते हुये इसका नामकरण मॉस्कों के रेड स्कावायर के नाम पर लाल चौक रख दिया।
यहां पर 1980 में एक घण्टाघर का निर्माण किया गया जो इस चौक की भव्यता को चार चांद लगाता है। कश्मीर के कद्दावर नेता शेख अब्दुला ने वामपंथी कश्मीरी राष्ट्रवादी राजनीति की शुरूआत लाल चौक से ही की थी, अक्सर उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेस के तमाम नेता और कार्यकर्ता हर सरीखे के विरोध-प्रदर्शन के लिए लाल चौक पर जुट जाया करते थे। लाल चौक और उसका घण्टा घर जो पहले विज्ञापन के लिए बनाया गया था अब कश्मीर की राजनीति का केन्द्र दशकों से बना हुआ है।
सितबंर 2010 में जब मीर वाइज उमर फारूख ने इद उल फितर पर ईदगाह से लाल चौक तक एक मार्च का नेतृत्व किया और जेकेएलएफ नेता यासिन मलिक के साथ इस ऐतिहासिक चौक से आवाम को सम्बोधित किया तब से अलगाववादी को खुलेआम लाल चौक पर अपने अपने झण्डे फहराते देखा गया। श्री नगर का लाल चौक गवाह है भारत की आजादी का और पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का जिसने कबायलियों के भेष में कभी कश्मीर को अस्थिर करने की कोशिश की ,लेकिन ऐसे मुश्किल वक्त में लाल चौक पर जुटी आवाम ने कबायलियों से लोहा लेते हुये कश्मीर की सरजमी की सुरक्षा में अपने आप को झोक दिया.कश्मीर के बच्चा बच्चा बुलन्द इरादों को शमशीर बनाकर कबायलियों से लोहा लेने लगा ।
ये चौक गवाह है, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुला की गहरी दोस्ती का उनके कश्मीर के लिए प्रेम का, ये चौक कभी गढ़ बन गया था पाकिस्तान की नापक सोच वाले अलगाववादियों का जिन्होने यहां के आम नागरिकों में डर का माहौल बनाकर रखा था। ऐसी नकारात्मकता के बीच 26 जनवरी 1993 में भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया। .ये चौक इस ऐतिहासिक पलों का भी गवाह बना, लेकिन इन सब के बीच यहां के आम नागरिकों को कई बार भारी परेशानियों से जुझाना पड़ा है। 5 अगस्त 2019 को धारा 370 के खत्म किये जाने के बाद कश्मीर के लाल चौक पर शांति और सुकुन का माहौल दिखा।
6 अगस्त 2021 को धारा 370 के खात्में की दुसरी वर्षगाठ पर लाल चौक का घण्टाघर तिरंगे की लाइटिंग से जगमगा उठा...तो वहीं 26 जनवरी 2022 को लाल चौक पर स्थानीय आवाम के साथ सेना के लोगो ने तिरंगा फहराया और देश के लिए जान देने वाले अमर शहिदों को याद किया।