उमर अब्दुला ने साधा भाजपा पर निशाना कहा देश 2024 में बदलाव के लिए हो रहा है तैयार
आरोप प्रत्यारोप और बयानबाजी के दौर के बीच लगातार एक दूसरे पर वार करने वाले लीडर्स बार बार बीजेपी को घेरने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहते है। इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का भी बयान आया है। वह भी विपक्ष की ताकत बनने के लिए इस बैठक में शामिल हुए थे उमर ने बीजेपी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि 'ये तो वक्त बताएगा कि वो फोटोशूट था या नहीं। आखिरकार उस मीटिंग पर बीजेपी की पूरी लीडरशिप बयान देने में मजबूर हुई।'
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जम्मू और कश्मीर: बिहार के पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक ने सियासत के पारे को लगातार चढ़ाने का काम कर दिया है, जिसके बाद से मुख्य सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के खेमें हलचल बनी हुई है। ये हलचल जम्मू कश्मीर की सियासत में भी साफ तौर पर दिखाई दे सकती है क्योंकि प्रदेश में पिछले 9 साल से विधानसभा चुनावों को टालने के पीछे कहीं न कहीं भाजपा सरकार का हाथ है ऐसा विपक्षी नेता लगातार आरोप लगाते आ रहे हैं।
आरोप प्रत्यारोप और बयानबाजी के दौर के बीच लगातार एक दूसरे पर वार करने वाले लीडर्स बार बार बीजेपी को घेरने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहते है। इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का भी बयान आया है। वह भी विपक्ष की ताकत बनने के लिए इस बैठक में शामिल हुए थे उमर ने बीजेपी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि 'ये तो वक्त बताएगा कि वो फोटोशूट था या नहीं। आखिरकार उस मीटिंग पर बीजेपी की पूरी लीडरशिप बयान देने में मजबूर हुई।'
उमर अब्दुल्ला ने कहा , "अगर खुद भारत के गृहमंत्री जो इस मुल्क में सबसे ताकतवर लोगों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर माने जाते हैं, वह भी इस मीटिंग के बारे में कुछ कहने पर मजबूर हुए तो शायद इसी से मीटिंग की कामयाबी का सबूत मिल जाता है। बाकी इस मीटिंग का क्या नतीजा होगा उसके लिए 2024 तक इंतजार करिए, आज से ही क्यों परेशान हैं। देश का मूड बदल रहा है वो लगातार सत्ताधारी पार्टी की नाइंसाफियों से परेशान हो चुकी है और अब जवान देने के लिए 2024 और जम्मू कश्मीर में चुनाव का इन्तेजार कर रहे है।
उमर अब्दुल्ला ने अनंतनाग में पत्रकारों से बातचीत में आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया। उमर ने दावा किया कि, "कश्मीर का कोई ऐसा इलाका नहीं है जहां मिलिटेंसी का असर देखने को नहीं मिलता है। हाल ही में राजौरी पूंछ में जो देखने को मिला है, उससे साबित होता है कि मिलिटेंसी का असर दोबारा से उन इलाकों में है, जिन इलाकों में कुछ साल पहले तक ये नजर नहीं आ रहा था। इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि इन लोगों के रहते हुए जम्मू-कश्मीर में मिलिटेंसी खत्म नहीं होगी।" सरकार की नितियों में अगर दम होता तो मिलिटेंसी उतनी नहीं होती जितनी आज तमाम इलाके में देखने को मिल रही है।
'किसी भी चुनाव का नहीं करेंगे बायकॉट'
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज की बात ये है कि हम किसी भी इलेक्शन का बायकॉट करने के लिए तैयार नहीं हैं. जो भी चुनाव होगा उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जाएगा, कामयाबी की हम पूरी कोशिश करेंगे, हमें और क्या चाहिए.
मणिपुर के हालात पर यह बोले उमर
मणिपुर के हालात पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ये अफसोस की बात है 50 दिन से ज्यादा हो गए. वहां खून-खराबे का सिलसिला, उसमें कोई रोक नहीं लगाई जा रही है क्योंकि दिल्ली से वो इलाका इतना दूर है. शायद इसलिए नजरअंदाज किया जा रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि मरकज की पूरी कोशिश रहेगी कि वहां दोबारा से अमन कायम किया जाए.