Awami National Conference: आर्टिकल 370 पर रिव्यू पिटीशन दायर करने की तैयारी में अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस...
Review petition on Article 370: बीते दिनें भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 पर सदन के फैसले को बरकरार रखा. जिसको लेकर कई विपक्षी पार्टियां और जम्मू-कश्मीर के बहुत से राजनेता नाखुश हैं. वहीं, आर्टिकल 370 को निरस्त करने वाले संदन के फैसले को चुनौती देने वाली और उसे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने के याचिका दायर करने वाली पार्टियों में से एक अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस (ANC) के अधिकारियों ने एक और ऐलान किया है.
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Jammu and Kashmir: बीते दिनें भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 पर सदन के फैसले को बरकरार रखा. जिसको लेकर कई विपक्षी पार्टियां और जम्मू-कश्मीर के बहुत से राजनेता नाखुश हैं. वहीं, आर्टिकल 370 को निरस्त करने वाले संदन के फैसले को चुनौती देने वाली और उसे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने के याचिका दायर करने वाली पार्टियों में से एक अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस (ANC) के अधिकारियों ने एक और ऐलान किया है.
ऐसे में इस फैसले को लेकर बहुत सी पार्टियां और लोग एक बार फिर आर्टिकल 370 को निरस्त करने वाले फैसले पर सुनवाई चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट लोग चाहते हैं कि कोर्ट एक बार फिर से आर्टिकल 370 पर सदन के फैसले पर विचार विमर्श करे.
इसको लेकर गुरूवार को अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने श्रीनगर स्थित पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान मीडियाकर्मियों से बात-चीत करते हुए एएनसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह ने कहा, "कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला खामियों से भरा था. कोर्ट कई बुनियादी मुद्दों पर चुप रहा. जिसके बाद इसपर एक समीक्षा याचिका तैयार की जा रही है. और एक बार यह तैयार हो जाए, हम इसे अपनी लीगल टीम और अन्य 23 याचिकाकर्ताओं के सामने रखेंगे. उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना है, हम जल्द ही शीर्ष अदालत में याचिका दायर करेंगे."
उन्होंने कहा कि ये एक चर्चा का विषय है कि कानूनी कार्रवाई का स्वरूप क्या होगा.
मुजफ्फर शाह ने कहा, "एक बात तय है कि चूंकि फैसला कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों के अनुसार खामियों से भरा है, इसलिए हम फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. क्या समीक्षा याचिका दायर की जाएगी या कोई अन्य रास्ता अपनाया जाएगा, हम उस पर चर्चा करेंगे."
मुजफ्फर शाह ने कहा कि "मैं फैसले का जश्न मनाने और राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इसका इस्तेमाल करने वालों को बताना चाहता हूं कि मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है. जम्मू-कश्मीर के लोग आपको करारा जवाब देंगे कि उन्हें 5 अगस्त साल 2019 का फैसला और 11 दिसंबर 2023 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार नहीं है."