Cobra Commando in Jammu Kashmir: कश्मीर के आतंकियों की आई आफत CRPF के कोबरा कमांडो का पहला बैच कुपवाड़ा में तैनात...
CRPF Cobra Commando: साल 2008 के सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने CRPF में एक अलग बल बनाने की मंजूरी दी. जिसमें CRPF में ही 10 अतिरिक्त बटालियन बनाई गईं.
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CRPF Cobra Commando in Kupwara: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के Cobra Commandos ने जम्मू-कश्मीर के खतरनाक जंगलों में अपनी काउंटर टेररिज्म ट्रेनिंग पूरी कर ली है. इसके बाद CRPF के कोबरा कमांडो का पहला बैच कुपवाड़ा में तैनात किया जा चुका है. ऐसा पहली बार है जब CRPF की Cobra Commandos की किसी यूनिट को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया जा रहा है. आपको बता दें कि साल 2009 में माओवादी विद्रोहियों से लड़ने के लिए तैयार की गई 'कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट एक्शन' (CoBRA) बेहद ही खतरानक सुरक्षा बल है. ये अपने काम में महिर हैं...
एक मीडिया संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि “कोबरा की कुछ कंपनियों को बिहार और झारखंड से आंशिक रूप से हटा दिया गया था क्योंकि वहां नक्सली हिंसा के मामलों में गिरावट आई थी। छह महीने पहले, उनका प्रशिक्षण जम्मू-कश्मीर के जंगलों में शुरू हुआ. अब प्रशिक्षण खत्म हो गया है और उन्हें कुपवाड़ा में तैनात किया गया है, लेकिन अभी तक किसी भी ऑपरेशन में उनका उपयोग नहीं किया गया है.”
अप्रैल में पहुंचे जम्मू-कश्मीर
हालांकि, कश्मीर में CRPF की बाकि यूनिट यहां कानून व्यवस्था बनाए रखने और आतंकवाद विरोधी (Counter Terrorism) अभियानों के लिए पहले से ही तैनात है. CRPF यहां भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर काम करती है. बाद में अप्रैल 2023 में CRPF कमांडोज़ को जम्मू-कश्मीर में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था.
अधिकारियों के मुताबिक, “कोबरा की स्थापना ऐसे समय में की गई थी जब भारत की आंतरिक सुरक्षा को नक्सली हिंसा से खतरा था. पिछले कुछ सालों में, कोबरा टीमों ने टॉप के नक्सलियों को मार गिराया है. उनके अभियानों से नक्सली हिंसा में कमी आई है. जब जंगल और पहाड़ी इलाकों में आतंकवादियों से निपटने की बात आती है तो ये इसमें एक्सपर्ट होते हैं. जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर की जगहें लगभग एक जैसी हैं. आने वाले सालों में इन्हें इसी तरह की जगहों पर उपयोग में लाया जाएगा.”
2008 में बनी थी पहली युनिट
साल 2009 के अक्टूबर में बिहार और झारखंड में जब कई नक्सली हमले तेज हुए तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इन माओवादियों से देश की आंतरिक सुरक्षा पर ख़तरा महसूस हुआ. जबकि उससे कुछ महीने पहले ही, साल 2008 के सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने CRPF में एक अलग बल बनाने की मंजूरी दी. जिसमें CRPF में ही 10 अतिरिक्त बटालियन बनाई गईं.