उमर अब्दुल्ला को पायल से पहली नज़र में हुआ था प्यार और 17 साल बाद ले ली तलाक़
दोनों कि प्रेम कहानी दिल्ली के ओबरॉय होटल से शुरु हुई थी. दरअसल यहां दोनों होटल ग्रुप के मार्केटिंग एग्ज़ीक्यूटिव के तौर पर काम करते थे. काम के दौरान ही वहीं उमर और पायल के प्यार की शुरुआत हो गई और आगे चलकर मज़हब की दीवार को पार कर दोनों ने 1994 में शादी कर ली
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जम्मू-कश्मीर की सियासत में परिवारवाद का खूब बोलबाला रहा है. देश की सियासत में जब भी परिवारवाद का ज़िक्र आएगा उसमें जम्मू कश्मीर के अब्दुल्ला ख़ानदान का भी नाम आएगा. इन दिनों अब्दुल्ला ख़ानदान की सियासत को उमर अब्दुल्ला आगे बढ़ा रहे हैं.
कौन हैं उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला कश्मीर के एक अहम सियासी परिवार के बेटे है.अब्दुल्ला ख़ानदान के तीसरी पीढ़ी के मेंबर हैं उमर .वह शेख अब्दुल्ला के पोते और फ़ारूख अब्दुल्ला के बेटे हैं .शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री और बाद में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. जबकि फ़ारूख़ अब्दुल्ला हिन्दुस्तानी सियासत के दिग्गज लीडर में शामिल हैं . जो केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी कई बड़े ओहदे पर रह चुके हैं. उमर अब्दुल्ला की पैदाइश 10 मार्च 1970 को इंग्लैंड में हुई थी. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई जम्मू कश्मीर में ही की थी. आगे की पढ़ाई के लिए वह मुंबई और स्कॉटलैंड भी गए. अब वह एक भारतीय राजनेता हैं, जो 2009 में जम्मू और कश्मीर राज्य के 11 वें और सबसे युवा मुख्यमंत्री बने. जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के लीडर के तौर पर उन्होंने 2009 में कांग्रेस के साथ एक गठबंधन बनाया और मुख्यमंत्री का ओहदा संभाला. उमर श्रीनगर से पार्लियामंट के साबिक़ मेंबर भी रह चुके हैं. उन्हें वाजपेयी के इंतज़ामिया में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया था.
कब रखा राजनीति में क़दम
वैसे तो उमर अब्दुल्ला को राजनीति विरासत में मिली हुई है. क्योंकि वह अब्दुल्ला परिवार के तीसरी पीढ़ी के मेंबर हैं. वह शेख़ अब्दुल्ला के पोते और फ़ारूख़ अब्दुल्ला के बेटे हैं . तो ज़ाहिर है कि जिसके बाप-दादा का सियासी सफ़र इतना शानदार रहा हो तो वह कैसे बच सकते हैं. उमर अब्दुल्ला ने कम उम्र में ही राजनीति में आने का फै़सला किया था. 28 साल की उम्र में उन्होंने 1998 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1999 में भी तेरहवीं लोकसभा में उन्हें जीत मिली और केंद्र में मंत्री बनाए गए. हालांकि पार्टी के कामकाज को ध्यान में रखते हुए उन्होंने मंत्री पद से 2002 में इस्तीफ़ा दे दिया था. जून 2002 में ही अपने पिता फ़ारुख़ अब्दुल्ला की जगह वह नेशनल कांफ्रेंस के प्रेसिडेंट बन गए।
मार्च 2006 में उमर अब्दुल्ला पाकिस्तान दौरे पर गए थे और राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ से बातचीत की थी. बैठक में जम्मू कश्मीर के मसले को हल करने का मुद्दा उठाया गया था. 2008 में उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा में एक भाषण दिया था. जिसकी खूब तारीफ़ हुई थी. 2008 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हुए. नेशनल कांफ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के 11 में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. उमर 8 जनवरी 2015 तक जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे।
370 हटने के विरोध में बनाया नया गठबंधन
अगस्त 2019 में जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया जा रहा था. उमर अब्दुल्लाह 370 हटने के ख़िलाफ़ थे तब उन्हें हिरासत में लिया गया था. उमर अब्दुल्ला लगातार दफ़ा 370 के हक़ में खड़े रहे और वे इसे जम्मू-कश्मीर की हक़ बताते रहे हैं. हिरासत से बाहर के आने के बाद उमर अब्दुल्ला एक बार फिर से जम्मू कश्मीर की राजनीति में एक्टिव हुए और दफ़ा 370 के हटने का विरोध करने वाले नेताओं ने एक नया गठबंधन बनाया जिसमें उमर अब्दुल्ला भी शामिल हैं। कुल मिलाकर देखें तो उमर अब्दुल्ला केंद्र की राजनीति के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं.
पायल से पहली नज़र में प्यार, 17 साल बाद तलाक़
उमर अब्दुल्ला और पायल नाथ की प्यार की दास्तां बेहद ही दिलचस्प रही थी. क्याोंकि दोनों अलग-अलग मज़हब से ताल्लुक़ रखते थे. उमर मुस्लिम और पायल हिंदू धर्म से थीं. बताया जाता है कि दोनों कि प्रेम कहानी दिल्ली के ओबरॉय होटल से शुरु हुई थी. दरअसल यहां दोनों होटल ग्रुप के मार्केटिंग एग्ज़ीक्यूटिव के तौर पर काम करते थे. काम के दौरान ही वहीं उमर और पायल के प्यार की शुरुआत हो गई और आगे चलकर मज़हब की दीवार को पार कर दोनों ने 1994 में शादी कर ली . उमर और पायल के दो बेटे हुए जिनका नाम जाहिर और ज़मीर है. लेकिन अफ़सोस दोनों की शादी जितनी शिद्दत से हुई तो वहीं शादी के 17 साल बाद उमर अब्दुल्ला और पायल नाथ ने एक दूसरे से अलग होने का फै़सला कर तलाक़ ले लिया ।