Terrorist in J&K: जम्मू-कश्मीर फिर से है आतंकियों के रडार पर, सिक्योरिटी में हो रहा है बड़ा फेरबदल
सरकार के मुताबिक, 21 अक्टूबर 2022 से अब तक जम्मू-कश्मीर में सात नागरिकों, पांच पैराट्रूपर्स और तीन अधिकारियों सहित कुल 26 जवान मारे गए हैं.
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जम्मू-कश्मीर: सिक्योरिटी एजेंसियों ने पुंछ, राजौरी और एलओसी बॉर्डर (LoC) पर बढ़ रहीं आतंकवादी गतिविधि में हो रहे इजाफे के लेकर चिंता जताई है. उनका कहना है कि कश्मीर में घुसपैठ की कोशिशों के ग्राफ में उछाल आया है. एजेंसियों का कहना है कि, ''इस बात से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इन इलाकों में घुसपैठ हो रही हैं. एक सीनियर ऑफिसर का कहना है कि घाटी में अगर सुरक्षा बल इन गतिविधियों पर ध्यान न दें तो किसी दूसरे विभाग को इसकी ख़बर मिलना मुश्किल है. हालांकि, साल 2023 में अब तक सबसे कम घुसपैठ के मामले सामने आए हैं. लेकिन बढ़ती हुईं आतंकवादी गतिविधियों को देखते हुए सेना सुरक्षा बलों कि तैनाती में फेरबदल कर रही है.
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि, आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की स्ट्रेटिज़ी बिल्कुल साफ है, उसका मानना है कि घुसपैठ के दौरान भले ही 20-30 फीसदी आतंकी मारे जाएं, लेकिन वो और ज्यादा आतंकियों को बॉर्डर पार करने के लिए भेजता रहे.
पिछले दो सालों से परेशान है सेना
अधिकारी ने बताया कि,"यह तीनों इलाके आतंकवादी घुसपैठ के लिए हर मौसमों में आसान रास्ते मुहैया कराते हैं. जिसकी वजह से वे आसानी से बॉर्डर पार कर सकते हैं." लेकिन पिछले दो सालों में कश्मीर के इन इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों के चलते, सेना के जवान और आम नागरिकों के हताहत होने की तादाद लगातार बढ़ रही है. जिसे देखते हुए सेना सुरक्षा बलों कि तैनाती में फेरबदल कर रही है.
एजेंसियों ने दी चेतावनी
सरकार के मुताबिक, 21 अक्टूबर 2022 से अब तक जम्मू-कश्मीर में सात नागरिकों, पांच पैराट्रूपर्स और तीन अधिकारियों सहित कुल 26 जवान मारे गए हैं. एजेंसियों को मिल इनपुट की वजहा से उन्होंने सुरक्षा बलों को चेताया है कि आगे आने वाले कुछ दिनों में घाटी में घुसपैठ की कोशिशें बढ़ सकती हैं .