गहरा है आगरा से कश्मीर का नाता, इन मुगल बादशाह ने कायम किए थे कई रिश्ते
कश्मीर का आगरा से नाता काफी पुराना है. मुग़लिया दौर में भारत की राजधानी रही. आगरा से कश्मीर के कला और कारोबारी रिश्ते बहाल किए गए. वह दौर कला और कारोबार के लिहाज़ से सुनहरा दौर था. आगरा के गलियारों में आज भी कश्मीर की खुशबू बसी हुई है. कश्मीर के गुलाब से लेकर मिट्टी तक ने आगरा से रिश्ता बनाया था. आइए जानते हैं कि कश्मीर का आगरा से नाता किस हद तक गहरा रहा है.
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Kashmir & Agra Relations: कश्मीर का आगरा से नाता काफी पुराना है. मुग़लिया दौर में भारत की राजधानी रही. आगरा से कश्मीर के कला और कारोबारी रिश्ते बहाल किए गए. वह दौर कला और कारोबार के लिहाज़ से सुनहरा दौर था. आगरा के गलियारों में आज भी कश्मीर की खुशबू बसी हुई है. कश्मीर के गुलाब से लेकर मिट्टी तक ने आगरा से रिश्ता बनाया था. आइए जानते हैं कि कश्मीर का आगरा से नाता किस हद तक गहरा रहा है.
430 साल पुराना है आगरा से रिश्ता
आगरा और कश्मीर का 430 साल पुराना रिश्ता है. 430 साल पुराने रिश्ते का मतलब है कि यह नाता मुग़लिया दौर से जुड़ा है. साल 1589 के जून महिने में मुग़ल शहंशाह अकबर ने कश्मीर घाटी को अपनी सल्तनत का हिस्सा बनाया था और तब से ही तीन मुग़ल शहंशाहों की सल्तनत में आगरा से ही कश्मीर के फैसले होते रहे. इन्हीं फैसलों के बीच आगरा और कश्मीर के कारोबारी रिश्ते भी बन गए थे.
आगरा में बसी है कश्मीर की ख़ुशबू
मुग़ल बादशाह अकबर ने कश्मीर के लोगों को जोड़ने के लिए उनपर टैक्स का बोझ भी हल्का किया. इनके बाद मुग़ल बादशाह ने जहांगीर और साम्राज्ञी नूरजहां ने कश्मीर को ज़मीन की जन्नत बताकर खूब विकास किया. आगरा में मौजूद ख़ास महल के सामने मुग़ल साम्राज्ञी नूरजहां ने अंगूरी बाग बनवाया. जिसे बनाने के लिए मिट्टी ख़ास तौर पर कश्मीर से मंगवाई गई थी. यहां तक की आगरा में मौजूद फूलों को भी कश्मीर से ही लाया गया और उनमें शामिल गुलाबों से गुलाबजल और कई तरह के इत्र बनवाए गए.
किनारी बाज़ार से ऐसे बना कश्मीरी बाज़ार
दुनिया का सबसे महंगा और कश्मीर का मश्हूर मसाला केसर से लेकर कपूर, चंदन भोजपत्र और लिखने की चीज़ों तक को कश्मीर से आगरा लाया जाता रहा. जिससे धीरे-धीरे कारोबारी रिश्ते मज़बूत होते रहे. शॉल, सिल्क, गर्म कपड़े, पेपर, पेपरमसी आर्ट, वुड कार्विंग, स्टोन कार्विंग, स्टोन पॉलिश, कढ़ाई, जरदोजी, चमड़ा, कांच बनाने के हुनरमंदों ने किले के पास कश्मीरी बाज़ार में अपने घर और दुकानें बनाईं. इसी वजह से किनारी बाज़ार के पास का यह बाज़ार कश्मीरी बाज़ार के नाम से मशहूर हो गया.
इतिहासकार पद्मश्री केके मुहम्मद ने बताया कि, "आगरा और कश्मीर के बीच मुग़लों के ज़माने से अटूट रिश्ते बने. दोनों जगह का कल्चर, कलाओं और शैलियों को अपनाया गया. मुग़लों की चार पीढ़ियों का आगरा से कश्मीर के बीच आना-जाना लगातार बना रहा, जिसका असर यहां के रिवरफ्रंट गार्डन पर नज़र आता है."
इतिहासकार प्रोफेसर सुगम आनंद के मुताबिक कश्मीर और आगरा, कला और कारोबार की वजह से मुगल दौर में जुड़े रहे. जहांगीर का आधा वक़्त कश्मीर में गुज़रा तो शाहजहां ने बाग बनवाए थे. दाराशिकोह ने कई अनुवाद कश्मीरी भाषा में कराए. पेपरमसी, कालीन, वुड कार्विंग जैसी कलाएं यहां कश्मीर से आईं."