बिना गुंबद की सबसे पुरानी मस्जिद है जामिया, 370 खंभों पर खड़ी है छत
हिमालय की गोद में बसा, जम्मू और कश्मीर अपनी नेचुरल ब्यूटी के लिए दुनिया भर में अपना एक ख़ास मक़ाम रखता है. जम्मू-कश्मीर सिर्फ़ एक राज्य ही नहीं बल्कि एक टूरिस्ट स्पॉट हैं जहां हज़ारों की तादाद में लोग घूमने आते रहते हैं. गर्मी हो या सर्दी लोग हर मौसम में यहां का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं. कड़क सर्दियों में तो यहां का नज़ारा और भी ख़ूबसूरत हो जाता है. जब ऊंचे-ऊंचे पहाड़ बर्फ की चादर ओढ़ लेते हैं. कश्मीर में मौजूद छोटी छोटी जगह और ऐतिहासिक इमारतें मिलकर ही इसे ख़ूबसूरत बनाती हैं जिनमें से एक है जामिया मस्जिद.
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Srinagar Jamia Masjid: हिमालय की गोद में बसा, जम्मू और कश्मीर अपनी नेचुरल ब्यूटी के लिए दुनिया भर में अपना एक ख़ास मुकाम रखता है. जम्मू-कश्मीर सिर्फ एक राज्य ही नहीं बल्कि एक टूरिस्ट स्पॉट हैं जहां हज़ारों की तादाद में लोग घूमने आते रहते हैं. गर्मी हो या सर्दी लोग हर मौसम में यहां का लुत्फ उठाना चाहते हैं. कड़क सर्दियों में तो यहां का नज़ारा और भी ख़ूबसूरत हो जाता है. जब ऊंचे-ऊंचे पहाड़ बर्फ की चादर ओढ़ लेते हैं. कश्मीर में मौजूद छोटी छोटी जगह और ऐतिहासिक इमारतें मिलकर ही इसे ख़ूबसूरत बनाती हैं जिनमें से एक है जामिया मस्जिद.
श्रीनगर कि सबसे पुरानी है यह मस्जिद
जामिया मस्जिद श्रीनगर में नौहट्टा में मौजूद है.जामिया मस्जिद को 1400 ई. में बनवाया गया था. यह श्रीनगर कि सबसे पुरानी मस्जिद है. इसी वजह से टूरिस्ट लोग इसे देखने आते हैं और श्रीनगर के लोग इसे जुमा मस्जिद या जामा मस्जिद से भी जानते हैं क्योंकि अक्सर वहां के आम लोग इसमें जुमा की नमाज़ ज़रूर अदा करते हैं. जामिया मस्जिद को पुराने तनाज़ों के चलते कई बार मुनहदिम कर दिया गया था लेकिन हर बार मस्जिद कि दोबारा मरम्मत हुई और इसे हर बार खोला गया. आख़िरी बार इसकी दोबारा तामीर महाराजा प्रताप सिंह की देख रेख के वक़्त की गई थी. उस वक़्त से यह अबतक बिल्कुल ठीक है.
बिना गुंबद कि वजह है ख़ास
इस मस्जिद को भारत के ही मटेरियल और मुस्लिम आर्ट्स से ही बनाया गया है. यह मुस्लिम कम्युनिटी के लिए एक बेमिसाल मज़हबी मरकज़ है. जामिया मस्जिद के आर्किटेक्ट को ब्रिटिश आर्किटेक्टर ने डिज़ाइन किया था जिसे इंडो-सरसेनिक आर्किटेक्ट के नाम से जाना जाता है. इस अनोखे डिज़ाइन का रिज़ल्ट बेहद ही ख़ास है क्योंकि इस मस्जिद कि छत पर गुंबद नहीं है जो लगभग हर मस्जिद और मज़हबी इमारतों पर देखने को मिलती है.
370 खंभों पर खड़ी है इमारत
जामिया मस्जिद जितनी पुरानी है उतनी ही बड़ी जगह में फैली हुई है. नमाज़ पढ़ने का हॉल इतना बड़ा है कि एक बार में ही 30,000 लोग नमाज़ अदा कर सकते हैं. बाहर से यह मस्जिद जितनी ख़ूबसूरत है उतनी ही अंदर से देखने लायक है. मस्जिद के नमाज़ पढ़ने वाला हॉल 370 खंभों पर खड़ा हुआ है. यह सभी खंभे देवदार के मोटे तनों से बने हुए हैं. यह नज़ारा किसी आलीशान बंगले से कम नहीं है. मस्जिद के अंदर जितना ख़ामोशी भरा माहौल है मस्जिद के चारो तरफ लगा बाज़ार उतना ही शोर करता है लेकिन इस नज़ारे को देखने लोग क़ायल हैं. यह मस्जिद लोगों के बीच एक मशहूर टूरिस्ट प्लेस है.