दुनिया को जन्म से ही न देख पाने वाले एजाज अहमद अहंगर है आवाज के जादूगर

आज हम आपको मिलवाएंगे कश्मीर के कुलगाम के मजगांम के 30 साल के युवा एजाज अहमद अहंगर से जिसकी चर्चा आज पूरी कश्मीर है। ये चर्चा उनकी इसलिए है क्योंकि वो गायक होने के साथ ही जन्म से आंखों की रोशनी से मेहरूम है लेकिन उनकी गायकी में बाखुदा कश्मीरियत की खुशबु है। कश्मीर की पारंपरिक बोली में गाने वाले एजाज ने अपनी जिन्दगी में एक साथी को हमेशा अपने साथ रखा है और वो साथी है सांरगी । वो सारंगी और रबाब की धुनों पर कश्मीरी बोली में सुरीले गानों की जब झड़ी लगाते है तो सुनने वाले मकामी बाशिन्दों की भीड़ जमा हो जाती है। 

दुनिया को जन्म से ही न देख पाने वाले एजाज अहमद अहंगर है आवाज के जादूगर
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कुलगाम : जम्मू और कश्मीर अपनी खुबसुरती के लिए दुनिया में जितना मशहूर है उतना ही मशहूर है ये प्रदेश अपनी युवा पीढ़ी को लेकर, जो आये दिन अपने टैलेन्ट का कमाल दिखा कर सभी को हैरान कर देने वाले पशोपेश में डाल देते है। कश्मीर के कुलगाम का एक ऐसा ही नायब हीरा है जिसने अपनी आवाज के जादू से कश्मीर के लोगों का तो दिल जीता ही है साथ ही जो भी उनकी आवाज को एक बार सुन लेता है बस सुनता ही चला जाता है। 

आज हम आपको मिलवाएंगे कश्मीर के कुलगाम के मजगांम के 30 साल के युवा एजाज अहमद अहंगर से जिसकी चर्चा आज पूरी कश्मीर है। ये चर्चा उनकी इसलिए है क्योंकि वो गायक होने के साथ ही जन्म से आंखों की रोशनी से मेहरूम है लेकिन उनकी गायकी में बाखुदा कश्मीरियत की खुशबु है। कश्मीर की पारंपरिक बोली में गाने वाले एजाज ने अपनी जिन्दगी में एक साथी को हमेशा अपने साथ रखा है और वो साथी है सांरगी । वो सारंगी और रबाब की धुनों पर कश्मीरी बोली में सुरीले गानों की जब झड़ी लगाते है तो सुनने वाले मकामी बाशिन्दों की भीड़ जमा हो जाती है। 


अपने पैतृक गांव मंजगाम और आसपास के कुछ गांवों में, एजाज कई लोगों के पसंदीदा हैं, जो उन्हें शादी की पार्टियों में और श्रद्धेय सूफी संतों की सालान वर्षगांठ के अवसर पर भी पारंपरिक सूफी गाने गाने के लिए आमंत्रित करते हैं। वह कई अंधे लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जिन्होंने दक्षिणी जिलों में सड़कों पर भीख मांगना छोड़ दिया है और एजाज की तरह जीविकोपार्जन का अपना तरीका चुना है।

लोगों को जीने का नया सलीका सीखाने वाले एजाज चाहते है कि कश्मीर में हमेशा अमन और शांति स्थापित रहे । अपने गानों में कश्मीर की खुशबु लिए वो अपनी गायकी को अल्लाह की इबादत मानते है। एजाज बताते है कि "वो जब छोटे थे तब उन्होंने अपनी माँ को खो दिया। इससे पहले, उन्होंने अपने पिता को भी खो दिया था,” एजाज याद करते हैं, अपने हाथों में सारंगी पकड़े वो आज अकेले खड़े है लेकिन इस बात से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है । वो कहते है कि  "मैं जन्म से अंधा हूँ। मैं एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता था और कभी किसी अच्छे डॉक्टर को अपने आप को दिखाने के लिए मेरे पास पैसा नहीं था। अंधापन मेरी नियति बन गयी।

एजाज बताते हैं कि वो अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें अपने पैतृक गांव में एक अच्छा गुरू और एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक मिला। “उनका नाम गुल मुहम्मद शाह था और उनसे उन्होंने 15 साल तक ट्रेनिंग ली। वह अब नहीं रहे लेकिन उनका दिया हुनर आज भी उनके अन्दर जिन्दा है वो एक सच्चे मार्गदर्शक और गुरू थे जिन्होंने हमेशा उनको बहुत कुछ सिखाया। 

एजाज ने अपने गांव के कई लोगों के जीवन को बदल दिया है जो अंधे या अन्य शारीरिक अक्षमताओं के साथ पैदा हुए थे। वो कहते है कि "मैं बहुत कम कमाता हूं लेकिन मैं संतुष्ट हूं। शादी समारोह में लोग मुझे 500 रुपये अपनी मर्जी से देते हैं। मैं किसी को मजबूर नहीं करता, ”उन्होंने केसर टीवी को बताया। "मैंने सारंगी खरीदने के लिए पैसे बचाए और आज यह मेरा साथी है।"

एजाज आर्थिक तंगी के कारण शादी नहीं कर पाए । हालाँकि, वह एक अच्छे कलाकार है, उनकी मीठी आवाज ही उनकी पहचान है । उनका सपना है कि वो अपने ही जैसे शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिए एक म्यूजिक स्कूल खोल सके ताकि उन्हें अच्छी ट्रेनिंग देकर अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बना सके। अपनी आवाज को अपनी ताकत समझने वाले एजाज हर तरह से आज की युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श है वो हमेशा पॉजटीव रहने वाले खुशमिजाज आदमी है और वो अपने म्यूजिक से हर ओर पॉजटिव माहौल बना देते है। 

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