अगर आप गुलमर्ग आयें तो ब्रिटिश काल के ऐतिहासिक सेन्ट मेरी चर्च को देखना न भूले

गुलमर्ग की हसीन वादियों को देखने आप जब कभी भी आये या फिर गोल्फ कोर्स और स्कीइंग का मजा लेने यहां पर आये तो 120 साल पुराने सेन्ट मेरी चर्च जाना न भूले । इस चर्च को देखने दूर दूर से टूरिस्ट आते है। चर्च का इतिहास बहुत पुराना है। हमारे देश में ब्रिटिश काल में बनाये गये चर्चों में एक नाम गुलमर्ग के सेन्ट मेरी चर्च का भी है। 1902 में ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने इसका निर्माण करवाया था। ये चर्च बड़ा होने के साथ ही अपनी वुडन पर की गई कारीगरी के लिए खासा मशहूर है। हर संडे को यहां पर टूरिस्टों के साथ ही स्थानीय लोग भी आते है।

अगर आप गुलमर्ग आयें तो ब्रिटिश काल के ऐतिहासिक सेन्ट मेरी  चर्च को देखना न भूले
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गुलमर्ग खुबसुरत गोल्फ कोर्स और स्कीइंग के अलावा अपनी ऐतिहासिकता के लिए खासा मशहूर है। यहां पर मौजूद 120 साल पूराने सेन्ट मेरी चर्च को देखने अक्सर टूरिस्ट आते है। इस चर्च का निर्माण 1902 में ब्रिटिश काल के दौरान हुआ था और इसकी इमारत आज भी नई जैसी लगती है। 

गुलमर्ग की हसीन वादियों को देखने आप जब कभी भी आये या फिर गोल्फ कोर्स और स्कीइंग का मजा लेने यहां पर आये तो 120 साल पुराने सेन्ट मेरी चर्च जाना न भूले । इस चर्च को देखने दूर दूर से टूरिस्ट आते है। चर्च का इतिहास बहुत पुराना है। हमारे देश में ब्रिटिश काल में बनाये गये चर्चों में एक नाम गुलमर्ग के सेन्ट मेरी चर्च का भी है। 1902 में ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने इसका निर्माण करवाया था। ये चर्च बड़ा होने के साथ ही अपनी वुडन पर की गई कारीगरी के लिए खासा मशहूर है। हर संडे को यहां पर टूरिस्टों के साथ ही स्थानीय लोग भी आते है। ब्रिटिश कारीगरी के शानदार नमूने के रूप में सेन्ट मेरी चर्च आज भी एकदम नया सा जान पड़ता है।

ये ऐतिहासिक चर्च टूरिस्टों के लिहाज से कई होटलों से घिरा हुआ है। जहां पर टूरिस्ट आते है और आराम भी करते है। चर्च के पास में लगे हुए अल्पाइन के पेड़ के इसकी खुबसुरती में चार चांद लगा देते है।  हर साल क्रिसमय के मौके पर पूरे कश्मीर के लोगों के साथ मिलकर यहां पर जश्न मनाया जाता है। उस दिन यहां पर भीड़ के कारण पैर रखने की जगह भी नहीं होती है। टूरिस्ट बताते है कि इस चर्च में धार्मिक भाईचारें की एक अनुठी पहल की गई है जिसके कारण भी लोग इसे देखने के लिए आते है। दरअसल इस पूरे चर्च की देखभाल का काम देखने वाले खुद भी मुस्लिम है। 

 
सेन्ट मेरी चर्च के नजदीक एक मन्दिर और गुरूद्वारा भी बना हुआ है। जहां पर सिख और हिन्दू भाई आते है। हर साल क्रिसमस पर चर्च को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है। चर्च आने जाने वालों के लिए हमेशा आकर्षण का केन्द्र रहता है। यहां पर आने वाले टूरिस्टों को जब पता चलता है कि ये चर्च 120 साल पुराना है और चर्च का देखभाल कोई मुस्लिम भाई करते है तो उनका कहना होता है कि भाई चारे की इससे अच्छी मिसाल और कोई नहीं हो सकती है। इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। जिसकी शिक्षा हर धर्म देता है। 

चर्च में हमेशा सभी के लिए दुआएं की जाती है। गुलमर्ग में एक ही जगह पर गुरूद्वारा, चर्च और मन्दिर एक साथ देखने को मिलते है। ऐसा नजारा आपकों कहीं और देखने को नहीं मिलेगा । टूरिस्ट यहां पर अपनी छुट्टियां बिताने के लिए आते है, लेकिन गुलमर्ग की हवा और मौसम उन्हें अपने साथ बांध लेता है। हर कोई गुलमर्ग जब भी आता है सेन्ट मेरी चर्च को देखने और प्रार्थना करने जरूर जाता है।  
 
120 साल पूराने सेन्ट मेरी चर्च की खुबसुरती और ऐतिहासिकता अपनी ओर टूरिस्टों को लगातार आकर्षित करती है। ब्रिटिश आर्किटेक्चर पर आधारित इस चर्च की इमारत आज भी एकदम नयी लगती है। 

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