DPAP in Election : विधानसभा चुनाव में आजाद फैक्टर रहा बेअसर, एक भी सीट पर नहीं जीत सकी DPAP!

Jammu Kashmir Assembly Intakhab 2024 : जम्मू-कश्मीर असेंबली चुनाव 2024 में आजाद फैक्टर बेअसर रहा है. यहां तक की दो साल पहले बनी पार्टी. चुनावी प्रचार के दौरान भी एक्टिव नहीं थी. अब सवाल है कि आखिर एक वक्त कांग्रेस का चेहरा रहे गुलाम बनी आजाद कांग्रेस की जीत पर क्यों ग़ायब हैं ?

DPAP in Election : विधानसभा चुनाव में आजाद फैक्टर रहा बेअसर, एक भी सीट पर नहीं जीत सकी DPAP!
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Jammu and Kashmir : ग़ुलाम नबी आजाद कभी जम्मू- कश्मीर में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा था. जिन्होंने अब से ठीक दो साल पहले अपनी पार्टी से बगावत कर नई पार्टी बनाई. लेकिन पहले 2024 लोकसभा चुनाव और अब असेंबली चुनाव दोनों ही चुनावों में गुलाम नबी आजाद फैक्टर बेअसर रहा.

बता दें कि दो साल पहले तक इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस से आजाद की बगावत का वादी की सियासत में असर दिखेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ ना सिर्फ़ गुलाम नबी आजाद खुद चुनाव प्रचार से गायब रहे. बल्कि DPAP के लीडरान ने टिकट मिलने के बाद भी चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया.

DPAP की तरफ से पहले चरण के लिए 10 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया था. उनमें से चार ने अपने नाम ही वापस ले लिए. वो भी उन सीटों से जिसे एक वक्त गुलाम नबी आजाद का गढ़ माना जाता था. ऐसा ही लोकसभा चुनाव के दौरान, ठीक इसी तरह गुलाम नहीं आजाद ने अनंतनाग-राजौरी सीट से पर्चा दाखिल किया. लेकिन बाद में नॉमिनेशन वापस ले लिया था.

कयास लगाए जा रहे थे कि अगर आजाद की पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरती. तो इससे NC और कांग्रेस को नुकसान होता. जबकि वोट बंटने की वजह से बीजेपी को फायदा मिलता. 
 
कहा यह भी जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद को किसी पार्टी से गठबंधन की भी उम्मीद थी. जिसमें पहले नंबर पर बीजेपी थी. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. वहीं, कांग्रेस ने भी आजाद की पार्टी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. 

माना जा रहा है, खुद को जम्मू-कश्मीर में अकेला होता देख. आजाद ने चुनाव से दूरी बनाने का फैसला किया. जानकारों का ये भी कहना है कि आर्टिकल 370 जैसे फैसले पर आजाद के स्टैंड से लोगों और स्थानी नेताओं में नाराजगी है. जिसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था. 
 

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