Yousuf Tarigami : अपनों के बीच घिरे यूसुफ तारिगामी, आज़ाद उम्मीदवारों ने भी बढ़ाई मुश्किलें !
Jammu Kashmir Assembly Intekhab 2024 : कुलगाम विधानसभा सीट को CPI-M का गढ़ माना जाता है. 1996 से ही इस सीट पर यूसुफ तारिगामी का कब्जा रहा है. जो जम्मू कश्मीर में लेफ्ट पॉलिटिक्स के साथ-साथ बीजेपी विरोधी सियासत का अहम चेहरा माने जाते हैं. गुपकार इत्तेहाद की तश्कील में भी उनका अहम किरदार था. असेंबली हल्के में उनकी पकड़ मज़बूत मानी जाती है. उनकी रैलियों और जल्सों में मौजूद लोगों की शमूलियत से इलाके में उनकी मकबूलियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
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Jammu and Kashmir : CPI-M के सीनियर लीडर और कुलगाम से पार्टी के उम्मीदवार यूसुफ तारिगामी को इस दफा सख्त मुकाबले का सामना है. बता दें कि साल 1996 से तारिगामी इस सीट से इलेक्शन जीतते आ रहे हैं. उन्हे नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की भी हिमायत हासिल है . लेकिन PDP, अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) और आज़ाद उम्मीदवार भी जोश शोर के साथ मैदान में डटे हुए हैं.
गौरतलब है कि कुलगाम विधानसभा सीट को CPI-M का गढ़ माना जाता है. 1996 से ही इस सीट पर यूसुफ तारिगामी का कब्जा रहा है. जो जम्मू कश्मीर में लेफ्ट पॉलिटिक्स के साथ-साथ बीजेपी विरोधी सियासत का अहम चेहरा माने जाते हैं. गुपकार इत्तेहाद की तश्कील में भी उनका अहम किरदार था. असेंबली हल्के में उनकी पकड़ मज़बूत मानी जाती है. उनकी रैलियों और जल्सों में मौजूद लोगों की शमूलियत से इलाके में उनकी मकबूलियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
अपनों के बीच घिरे यूसुफ तारिगामी
तारिगामी का दावा है कि MLA रहते हुए उन्होने इलाके की तरक्की के लिए बहुत काम किया है. उन्हें उम्मीद है कि लगातार पांचवी दफा अवाम उनकी हिमायत करेगी. लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है. तारिगामी के खिलाफ कभी उनके खासम खास रहे मोहम्मद अमीन डार PDP के टिकट के पर, जबकि मोहम्मद आकिब डार अपनी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उनके सामने हैं. इसके अलावा आज़ाद उम्मीदवार सैयार अहमद रेशी भी मैदान में हैं. जिसे ममनूआ तंजीम जमाअत ए इस्लामी जम्मू कश्मीर की हिमायत हासिल है.
सैयार रेशी की रैलियों में ममनूआ तंजीम के साबिक ओहदेदार और उससे जुड़े कार्यकर्ताओं की बड़ी तादाद शामिल हो रही है. कुलगाम के अलावा ज़ैनापोरा और पुलवामा में भी ममनूआ तंजीम ने जैनपोरा से एजाज अहमद मीर और पुलवामा से डॉक्टर तलत की हिमायत का एलान किया है.
गौरतलब है कि जमाअत ए इस्लामी जम्मू कश्मीर ने साल 1990 से ही चुनावों से दूरी बना रखी है. इस अर्से में आम तौर पर ममनूआ तंजीम के कैडर पीडीपी के लिए वोटिंग करते रहे हैं. कुलगाम में भी सूरतेहाल ऐसी ही रही है. 2008 और 2014 में तारिगामी को जीत के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी थी और बेहद मामूली वोटों के फर्क के साथ वो चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे. 2008 में उन्होने पीडीपी उम्मीदवार को 334 जबकि 2014 के असेंबली इंतेखाब में उन्होने महज़ 236 वोटों से जीत हासिल की थी...