लद्दाख: लद्दाख धरती पर जन्म लेने के बाद से ही हम इंसान चांद के बारे में जानने में लगे हुए हैं. चांद पर कदम रखने से लेकर उसकी सतह पर पानी खोजने तक हम आज भी उसके रहस्यों को सुलझा रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं? भारत की धरती पर एक ऐसी जगह है जो काफी हद तक चाद की सतह जैसी है। लेह से लगभग 135 कि.मी. दूर ये है लामायूरू, मूनलैंड के नाम से मशहूर इस जगह का जियोलोजिकल सिग्निफिकेंस भी है.
आम इंसान के लिए ये किसी अजूबे से कम नहीं है. लामायूरू का लैंडस्केप धरती की बाकि सभी जगहों से बेहद अलग है. इसको देखते ही ऐसा लगता है मानो ये धरती का हिस्सा हो ही नहीं सकता, न कोई पेड़-पौधे, बेहद कम हवा और वायु का प्रेशर भी बहुत कम है.
सूखा पड़ा ये इलाका हमेशा से ऐसा नहीं था, माना जाता है यहां एक बहुत बड़ी झील हुआ करती थी. लगभग 35 से 40 हजार साल पहले लामायूरू में एक झील हुआ करती थी. अब बाद में हुआ यूं की वक़्त के साथ झील का पानी तो सूख गया और झील की चिकनी मिट्टी यहां रह गई. बीते सौकड़ों सालों में यहां की मिट्टी में दरारें पड़ गईं और ये ख़ास क़िस्म की डिजाइन्स तैयार हो गईं, जो एक दम अलग सी महसूस होती हैं. झील का व्यू आपको चाद की जम़ीन की याद दिलाएगा.
कहते हैं 11वीं शताबदी के आस पास नरोपा नाम के संत ने इस झील को खत्म कर या सुखाकर एक मोनेस्ट्री यानि एक बौद्ध मठ की नीव रखी. आज लामायूरू मोनेस्ट्री लद्दाख की सबसे मशहूर मोनेस्ट्री में से एक है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक झील तो खत्म हो गई लेकिन उसमें बचे अपशिष्ट या सेडिमेंट्स और किनारों पर हवा की वजह से कटान हो रहा है. जिसकी वजह से यहां चांद और मंगल गृह जैसी डिजाइन्स की याद दिलाते हैं. इसी वजह से इसे लूनर टॉयपोग्राफी भी कहते हैं. कहते हैं कि फुल मून के दिन ये पूरा इलाक़ा बिल्कुल चांद की जमीन जैसा ही लगता है.
चांद और मंगल गृह की सतह यानि जमीन को स्टडी करने के लिए, ये जगह रिसर्चस और वैज्ञानिकों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है. हम इंसानों को चांद पर पानी के और भयंकर बाढ़ के सुबूत भी मिले हैं. और मंगल और चांद पर भेजे गए रोवर्स और सेटेलाइट के जरिए इकट्ठा किए गए़ डेटा यानि जानकारी को पुख्ता करने और उसका मिलान या स्टडी करने के लिए ये जगह काफी अहम हो जाती है.
तो साइंटिस्ट हों या टूरिस्ट, लद्दाख की ये मोनेस्ट्री और ये जगह सबको अपनी ओर आकर्षित करने के साथ-साथ लोगों को चांद पर चलने जैसा अनुभव या फीलिंग भी देती है.