जम्मू-कश्मीर: कश्मीर का जिक्र होते ही दिमाग़ में ‘जन्नत-उल-फिरदौस’ गूंज उठता है. कश्मीर अपने खू़बसूरत पहाड़ों और शानदार वादियों के लिए मशहूर तो है ही, वहीं ये अपने मंदिर और मस्जिदों के लिए भी ख़ूब जाना जाता है. अकेले कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से ही गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम जैसे कुदरत के नायाब इलाकों की सैर का आनंद ले सकते हैं.
गुलमर्ग
जम्मू-कश्मीर के सबसे खू़बसूरत हिल स्टेशन कहे जाने वाले गुलमर्ग की अनोखी ख़ूबसूरती की वजह से इसे धरती पर स्वर्ग भी कहा जाता है. बारामूला जिले में मौजूद गुलमर्ग को ‘फूलों का प्रदेश’ भी कहा जाता है. गुलमर्ग में हर साल बड़ी तादाद में मुसाफिर आते हैं. साल 1927 में अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में गुलमर्ग की स्थापना की थी.
गुलमर्ग के गोद में खिलनमर्ग नाम की एक खू़बसूरत घाटी मौजूद है. यहां मौजूद बर्फ से ढंके पहाड़ और हरे भरे मैदान की वजह से घाटी बेहद खू़बसूरत नज़र आती है.
सोनमर्ग
कश्मीर के ख़त्म और लद्दाख के शुरू होने से पहले जो वैली आती है वो है सोनमर्ग. हिमालय में 9000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद ये वादी, 18000 फीट के बड़े बड़े ग्लेशियरों से घिरी हुई है. इन ऊंचे-ऊंचे ग्लेशियर को देखने के लिए आपकी गर्दन में दर्द हो जाएगा। यहां सर्दी इतनी ज्यादा पड़ती है कि, जनवरी महीने में ये ज़मीन 10-20 फीट मोटी बर्फ की चादर ओढ़ लेती है. और थाजीवास की चोटियों दुनिया का सबसे खू़बसूरत नज़ारा पेश करती हैं. इसीलिए कुछ लोग सोनमर्ग को स्वर्ग का रास्ता भी कहते हैं.
लद्दाख यहां से केवल 25 कि.मी. दूर रह जाता है। लेकिन इतनी ज़्यादा बर्फबारी के चलते ये रोड कई दिनों और कई बार कई हफ्तों के लिए बंद हो जाता है. और इतनी ज़्यादा सर्दी और बर्फबारी की वजह से सर्दियों में सोनमर्ग के ज़्यादातर मार्केट और होटल बंद रहते हैं. सर्दियों में सोनमर्ग पूरी तरह से बर्फ की चादर ओढ़ लेता है. सफेद बर्फ की चादर से सारा माहौल दूधिया हो जाता है.
पहलगाम
घाटी के सबसे खू़बसूरत हिल स्टेशनों में से एक है पहलगाम. लिद्दर नदी और शेषनाग झील के मुहाने पर मौजूद पहलगाम, बर्फ से ढंकी पहाड़ियों, कल-कल करती नदियों और चमकते ग्लेशियर की गोद में बसा है. पहलगाम में ही मौजूद है भारत का स्विट्जरलैंड कहे जाने वाला बैसरन का घास का मैदान.
पहलगाम में मौजूद है अवंतिपुर, जिसे राजा अवन्तिवर्मन ने अपने साम्राज्य में बसाया था. अवंतीपुर को कश्मीर की पुरानी राजधानी के नाम से भी जाना जाता है. यहां अभी भी विष्णु एवं सूर्य मंदिरों के अवशेष देखे को मिल जाएंगे. पहलगाम की दो झीलें भी सबसे ज्यादा मशहूर हैं, पहली है वैतरणी झील और दूसरी है चंदनवाड़ी झील.
ये हैं पहलगाम के प्रमुख धार्मिक स्थल:
ममलेश्वर: पहलगाम से 1 कि.मी. की दूरी मौजूद ममल गांव से होकर गुजरने वाली लिद्दर नदी के दूसरे किनारे पर है ममलेश्वर नामक एक छोटा सा शिव मंदिर. कश्मीर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक ममलेश्वर मंदिर का संबंध 12वीं शताब्दी के राजा जय सीमा के काल से जोड़ा जाता है.
मतरड़: पहलगाम के मतन गांव में एक पहाड़ की चोटी पर मौजूद मतरड़ मंदिर के खंडहर को देखने के लिए भारी तादाद में टूरिस्ट यहां आते हैं. मंदिर में मौजूद देवता के नाम पर ही इस गांव का नाम मरतड़ रखा गया.