अगर आप कश्मीर की ऐतिहासिकता को जानना चाहते है तो महाराजा प्रताप सिंह म्य़ूजियम जरूर जाये

Written By Rishikesh Pathak Last Updated: May 08, 2023, 01:16 PM IST

किसी भी स्थान की ऐतिहासिकता उसके तथ्यों पर आधारित होती है और तथ्यों को जिस स्थान पर एकत्र किया जाता है उसे म्यूजियम कहते है, यदि आप कश्मीर घुमने आये और कश्मीर की ऐतिहासिकता को देखने का मन कर जाय़े तो श्रीनगर का महराजा प्रताप म्यूजियम आपके लिए बिल्कुल सही जगह है। पढ़िए हमारी इस खास रिपोर्ट

 

कश्मीर में श्रीनगर का महाराजा प्रताप सिंह म्यूजियम पूरी घाटी में लोकप्रिय है। इसकी ऐतिहासिकता और यहां पर मौजूद तथ्यों को देखकर आप कश्मीर के इतिहास को बड़े ही नजदीक से देख सकते है। इस म्यूजियम को महाराजा प्रताप सिंह ने 1898 में स्थापित किया था। पहले ये  एक गेस्ट हाउस था। बाद में इसे म्यूजियम बना दिया गया, ताकि आने वाले सैलानियों को कश्मीर के सही इतिहास का पता चल पाये। म्यूजियम में 80 हजार से ज्यादा मोनुमेन्टस रखे गये है जिन्हें एक नजर में देखते ही पता चलता है कि उस समय का कश्मीर कैसा था। म्यूजियम में कश्मीर आने वाले सभी सैलानी तो आते ही है लेकिन उनके साथ ही स्कूली बच्चों को भी म्यूजियम घुमाया जाता है ताकि वो समझ पाये कि कश्मीर जो आज जैसा है उसका कल यानि इतिहास कैसा था.।  जम्मू कश्मीर में डोगरा वंश की स्थापना 1846 में राजा गुलाब सिंह ने की थी। तब से लेकर आज तक ये म्यूजियम पुराने अवशेषों और तथ्यों के साथ इतिहासकारों और कला प्रेमियों के लिए मनोरंजन के साथ ही एक ज्ञानवर्धक स्त्रोत बना हुआ है। 

 

म्यूजियम की अगर बात करे तो इसमें कुछ दुर्लभ मूर्तियां, मुद्राशास्त्र, टेराकोटा और मिट्टी के बर्तन, लघु चित्र, कवच और सामान, बर्तन,असबा, लकड़ी के काम के नमूने, पेपर मशीन और शाल बुनाई शामिल हैं। इसके  अलावा परिंदों, जानवरों  के अलावा यहां पर   पुराने जमाने में इस्तेमाल किए जाने वाली चीजें भी मौजूद हैं जिसे कश्मीर घाटी के पूर्वजों के द्वारा तैयार किया जाता था आज वो सारी चीजें म्यूजियम में बिल्कुल उसी अवस्था में मौजूद है।  कश्मीर के स्कूलों से हमेशा छात्रों की भीड़ म्यूजियम में आती है। म्यूजियम को देखने के बाद उनका अनुभव और उनकी जानकारी में काफी इजाफा हो जाता है। उनके चेहरे पर जो मुस्कान आती है वो उनको एक अलग आत्मविश्वास से भर देती है। इतिहास को आप कितना भी पढ़ ले लेकिन उसको तथ्यों का सहारा मिल जाये तो उससे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता है। जो छात्रों ने पढ़ा होता है और जब वो सब उन्हें म्यूजियम में दिखता है तो उनका रोमांच देखने लायक होता है। 

 

इतिहास को पढ़ना और इतिहास को तथ्यों के आधार पर म्यूजियम में देखना दोनों बिल्कुल अलग है। जो छात्र किताबों में पढ़ते है और जब उनके अवशेषों को म्यूजियम में देख लेते है तो वो जानकारी वो जिन्दगी भर नहीं भूला पाते है।