Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर: भारत की कलाकृतियां, आर्किटेकचर और ऐतिहासिक इमारतें दुनियाभर में अपनी भव्यता के लिए मशहूर हैं. जहां आपको इन इमारतों के एक से बढ़कर नज़ारा देखने को मिलते हैं. यही कारण हैं कि दुनियाभर से भारत घूमने आए सैलानी यहां की ऐतिहासिक इमारतों को जरूर देखने जाते हैं. सुंदर ख़ूबसूरती की मिसाल देने वाली इमारतों में भारत की कुछ मस्जिदें भी शामिल हैं. इन मस्जिदों की खू़बसूरती के चर्चे दुनियाभर में होते हैं. इन मस्जिदों के पुराने वास्तुशिल्प और कला भारतीय आर्किटेकचर और कारीगरों के बेहद आला हुनर की दास्तां बयां करते हैं. आज हम आपको भारत की कुछ ऐसी ही खू़बसूरत मस्जिदों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिनकी वास्तुकला को देखने के लिए आपको कम से कम एक बार जरूर जाना चाहिए.
दिल्ली की जामा मस्जिद
भारत और दुनिया में बहुत ज्यदा मशहूर मस्जिदों में से एक है जामा मस्जिद. वैसे जामा मस्जिद का असली नाम मस्जिद-ए-जहान नुमा है. 25,000 व्यक्तियों को इकट्ठा करने की क्षमता रखने वाली इस मस्जिद को शाहजहां ने बनवाया था. मस्जिद की 135 फीट ऊंची मीनार संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बनी है. ये भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है. उस वक़्त इस मस्जिद के निर्माण कार्य में तकरीबन 10 लाख रुपये का खर्च आया था.
भोपाल की ताज-उल-मस्जिद
करीबन 141 साल के लंबे वक़्त में बनकर तैयार हुई ताज-उल-मस्जिद हिंदुस्तान की सबसे बड़ी मस्जिद है. एशिया के सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक इस मस्जिद को मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर के दौर में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था. इसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी इसका निर्माम कार्य चलता रहा. आखिर में साल 1985 में अल्लामा मोहमद इमरान ख़ान नदवी अज़हरी और सईद हस्मत अली शाह ने इसका निर्माण कार्य संपन्न कराया.
हैदराबाद की मक्का मस्जिद
साल 1694 में मक्का की मस्जिद से आयात की गई मिट्टी और ईंटों से बनी है, भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक मक्का मस्जिद. 10,000 लोगों को इकट्ठा करने की क्षमता रखने वाली इस इस 75 फीट ऊंची ये मस्जिद काफी मशहूर है. इस मस्जिद के पास मौजूद हैं लाड बाजार, चौमहल्ला पैलेस और चारमीनार जैसे ऐतिहासिक स्थल. मक्का मस्जिद का निर्माण सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने अपने शासन काल में करवाया था. एक लंबे चौड़े इलाकें में बनी इस मस्जिद में एक बार में लगभग 20000 लोग नमाज अदा कर सकते हैं.
आगरा की जामा मस्जिद
मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने शासन काल में इमारतों के निर्माण पर खूब ध्यान दिया था. उसी का एक नायाब नमूना है आगरा की जामा मस्जिद. अपनी बड़ी बेटी जहान आरा की याद में शाहजहां ने साल 1648 ईस्वी में इस शानदार मस्जिद को बनवाया था. मस्जिद की दीवारों पर बनी मेहराब निहायत ही खू़बसूरत लगती हैं. इस शानदार मस्जिद तुलना सातवें आसमान की मोतियों और माणियों से बनी 'बैतुल-मामूर' मस्जिद से भी की जाती है. इस मस्जिद को भी जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है.
श्रीनगर की जामा मस्जिद
श्रीनगर के नौहट्टा इलाक़े में बनी जामिया मस्जिद दूर से देखने में किसी बौद्ध इमारत जैसी लगेगी. सुल्तान सिकंदर के ज़माने में साल 1394 से 1402 ईस्वी के बीच जामिया मस्जिद का निर्माण पूरा हुआ था. यह मस्जिद कश्मीर के मशहूर टूरिस्ट प्लेसिज़ में से एक है. इस मस्जिद को भी जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है.
अहमदाबाद की जामा मस्जिद
गुजरात सलतनत के पहले सुल्तान अहमद शाह ने 4 जनवरी 1424 को अहमदाबाद की जामा मस्जिद का उद्घाटन किया था. सुल्तान अहमद शाह की ख़्वाहिश थी की मस्जिद का गुंबद कमल की पंखुड़ियों की तरह दिखे. जामा मस्जिद में ही अहमद शाह और उसके बेटों और पोतों की क़ब्र मौजूद हैं. साल 1819 ईस्वी में आए एक भयानक भूकंप में इस मस्जिद को काफी नुकसान पहुंचा, जिसमें मस्जिद की दो बड़ी मीनारें भूकंप के झटकों से गिर गईं थी. इस मस्जिद को भी जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है.