कश्मीर की बेटी तजामुल इस्लाम बनी किक बॉक्सिग में वल्ड चैपियन

Written By Rishikesh Pathak Last Updated: May 06, 2023, 01:23 PM IST


बांदीपुरा : कश्मीर घाटी के बांदीपुरा जिले में सपनो को उड़ान देती एक लड़की तजामुल इस्लाम जिसने दो बार किक बॉक्सिग में वल्ड चैपियन बनकर कश्मीर की आने वाली पीढि़यो में खेलो को लेकर उनकी सोच को बदलने का काम किया है । आज तजामुल पर उनके मां -बाप के साथ पूरे कश्मीर को गर्व है। 


कश्मीर की छोटी सी बेटी ताजमुल ने वो काम किया है। जिससे वो आज कश्मीर की युवा पीढियों के लिए मिसाल बन गई है। तजामुल ने कायरो में आयोजित वल्ड किक बॉक्सिग चैपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर भारत और कश्मीर का नाम रोशन किया है। तजामुल ने पहला गोल्ड मेडल सब जुनियर कैटगरी जम्मू 2015 में जीता था और उसके अगले साल 2016 में किक बॉक्सिंग  वल्ड चैपियनशिप में दूसरा गोल्ड जीता जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।  कश्मीर से पहली किक बॉक्सर के रूप में तजामुल का सफर इतना आसान नहीं था । जब तजामुल इस्लाम 5 साल की थी तब चोट के डर से उनके पिता इस खेल के लिए तैयार नहीं थे । लेकिन उनकी मां ने उनको इस खेल में जाने के लिए पूरा स्पोर्ट किया । आज उनके पिता उन पर गर्व महसूस करते है। तजामुल का दावा है कि वो आने वाले सालों में किक बॉक्सिंग में भारत के लिए और भी मेडल जीतकर लायेगी। किक बॉक्सिग का शोक तजामुल को बहुत छोटी उम्र से टीवी पर बॉक्सिग का मैच देखकर हुआ लेकिन आस पास के लोगों ने उन्हें कई बार कहा कि लड़किया केवल किचन में काम करती अच्छी लगती है। बॉक्सिंग करती नहीं इन्ही बातों से लड़ते हुये वो रियल फाइटर के रूप में सामने आई और उन्होंने ये सारा गुस्सा रिंग में निकाला और इन तानों को गोल्ड मेडल में बदल कर रख दिया। 

तजामुल इस्लाम बांदीपुरा ही नहीं आज पूरे कश्मीर में चर्चा का विषय बनी हुई है क्योंकि वो अपने जैसी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई  है। आज सब उनसे मिलते है न्यूज में उनके बारें में पढ़ते है तो उनके पिता को बहुत अच्छा लगता है। 


किक बॉक्सर तजामुल इस्लाम ने बांदीपोरा में ही एक किक-बॉक्सिंग अकादमी भी शुरू की है जिसे हैदर स्पोर्ट्स अकादमी नाम दिया गया है। वे यहाँ गाँव की लड़कियों को प्रैक्टिस करवाती हैं, इंटरनेशनल ओलिंपक के लिए किक बॉक्सिंग को भी मान्यता मिल चुकी है और आगे चलकर यह गेम ओलिंपक का हिस्सा भी बन सकता है। तजामुल इस्लाम का लक्ष्य ओलिंपक में देश का नाम रोशन करना है। तजामुल ने घाटी की लड़कियों को नयी आशा दी है ताकि वो भी खेलों में भाग लेकर अपने सपनों को पंख लगाकर उड़ पाये अपने निजी जीवन में वो रोज सुबह 5 बजे उठकर अपनी प्रेक्टिस शुरू कर देती है,आज कश्मीर ही नहीं पूरे भारत को तजामुल पर गर्व है जिसने अपने टेलेंन्ट से कश्मीर की नई जनरेशन को ऐसी राह दिखायी है कि आज हर कोई उनके जैसा बनने की ख्वाहिश रखता है। 
 

तजामुल जैसी बेटी उन लोगों के लिए करारा जवाब है जो लोग बेटियों को लेकर ऐसी मानसिकता रखते है कि वो केवल घर के काम कर सकती है। खेलों में आगे नहीं बढ़ सकती है।