कश्मीर घाटी में पैदा होता है दुनिया का सबसे मंहगा मशरूम

Written By Last Updated: Jul 25, 2023, 06:41 PM IST

जम्मू-कश्मीर: क्या आप जानते हैं कि देश और दुनिया का सबसे महंगा मशरूम कौन सा है?जिसकी डिमांड पूरी दुनिया में है वो भारत में मिलता है। बाजार में इसकी क़ीमत 20 से 30 हज़ार रुपये किलो है।

"गुच्छी"

तो चलिए आपको बताते हैं इस मशरूम के बारे में, भारत में पाए जाने वाले इस मशरूम का नाम 'गुच्छी' है। ये हिमालय पर पाए जाने वाले जंगली मशरूम की प्रजाति है। इसकी मंहगी क़ीमत की वजह से अब लोग में एक कहावत बन गई है कि गुच्छी की सब्जी खानी है तो बैंक से लोन लेना पड़ेगा।    

ऊंची क़ीमत पर बिकने वाले इन मशरूमों से होने वाले मुनाफे के अलावा गुच्ची का इस्तेमाल बहुत से मेडिकल परपज़ के लिए भी किया जाता है। आयरन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी और विटामिन डी से भरपूर इस मशरूम में एंटीट्यूमर, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी हैं। यह शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाता है, दिल और लिवर के बीमारियों को भी कम करने मदद करता है। 

अपने हाई न्यूट्रिशन और मेडिसिनल प्रोपर्टी के गुणों वाले ये मशरूम, बाजारों में बिक रहे मीट का एक अच्छा ख़ासा विकल्प है। कश्मीर के लोग इसे 'केनगेइच' या गुच्छी के नाम से जानते हैं और ये दुनिया के सबसे महंगा मशरूम में से एक है। 

मुश्किल है इस मशरूम का मिलना

हिमालय की उत्तर-पश्चिमी श्रृंख्ला में मौजूद कश्मीर में मैक्रोफंगल प्रॉपर्टी के अकूत भंडार हैं। और कश्मीर की जियोग्राफिकल कंडीशन की वजह से ही, मशरूम की ये अनोखी क़िस्म यहां पैदा होती है। 

मशरूम की मोरचेला प्रजाति से ताल्लुक रखने वाले गुच्ची या गुच्छी मशरूम हिमालय के शंकुधारी जंगलों, पर्णपाती जंगलों, अल्पाइन और उप-अल्पाइन जैसे चरागाहों में पाए जाते हैं। ऐसा नहीं है कि ये महंगा मशरूम केवल कश्मीर में ही पाया जाता है, कश्मीर के अलावा ये हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की तलहटी में भी पाए जाते हैं। 

पहाड़ों में पाए जाने वाले गुच्छी मशरूम का दिखना बेहद मुश्किल होता है। मधुमक्खी के छत्ते जैसा सिर और इनका बल्बनुमा आकार ही इनकी पहचान है। गुच्छी मशरूम की खेती नहीं की जाती बल्कि ये पहाड़ों में मौजूद जंगलों में खुद ब खुद पैदा हो जाते हैं। आमतौर पर ये जमीन से 2000 फीट की ऊंचाई पर पैदा होते हैं। कश्मीर में ये कंगन, अनंतनाग और कुपवाड़ा जैसे ऊंचे इलाक़ों में पाए जाते हैं। इन गुच्छी मशरूम को साल में केवल मार्च और अप्रैल तथा जुलाई और अगस्त के दौरान किया जाता है।

क़ीमत है ख़ास

कश्मीर के लोगों के बीच एक ऐसे मशरूम को इकट्ठा करने के लिए जोरादार मुकाबला बना रहता है। इसका एक ही कारण है, बाज़ारों में इसकी बहुत ज्यादा क़ीमत का होना। गुच्छी की क्वॉलिटी के हिसाब से इसकी क़ीमत तय होती है। अमूमन ये 10,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति किलो के रेट पर बेची जाती है।

आमतौर पर कश्मीर के लोग अपने किसानी के काम में लगे रहते हैं। लेकिन जब भी गुच्छी के उगने का समय आता है तो वे इसपर ज्यादा ध्यान देते हैं क्योंकि इससे उनकी कमाई होती है। घर की महिलाए अपने साथ छोटे छोटे बच्चों को जंगल में गुच्ची इकट्ठा करने के लिए ले जाती है। उनका मानना है कि, इन छोटे छोटे बच्चे की आखें बहुत तेज होती है और इनकी छोटी हाईट की वजह से इन्हे गुच्छी ढूंढूने में आसानी होती है।  

गुच्ची मशरूम से बनने वाले लज़ीज़ व्यंजन

जम्मू और कश्मीर में मोरेल के व्यापार पर जम्मू विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के संजीव कुमार और वाईपी शर्मा बताते हैं कि, गुच्छी का इस्तेमाल यहां के पारंपरिक कश्मीरी व्यंजन जैसे 'चाश्नी' (एक स्थानीय मिठाई), 'थुन्थू पुलाव', (चावल और मोरेल), 'थुन्थू खीर' (दूध और मोरेल), और 'थुन्थू यखनी' (दही और मोरेल) बनाने के लिए किया जाता है।

ज़्यादातर मशरूम को उनके ताज़ा रूप में खाया जाता है। जबकि मोर्चेला मशरूम को धुंए में सुखाने या धूप में सुखाकर का रख लिया जाता है। इसके बाद गुच्छी मशरूम को बोरियों या कांच के जार में पैक करने के बाद बाजारों में बेचने के लिए तैयार कर लिया जाता है। 

कश्मीर घाटी में गुच्छी की सब्जी को आमतौप पर टमामटर और प्याज के साथ पकाया जाता है। और सर्दियों के दौरान जब घाटी में हरी सब्जियों की कमी होती है, उस वक़्त यानि ऑफ सीजन में ही इन सूखे मशरूम की सब्जी तैयार की जाती है। 
 
विदेशों में है भारी मांग

संजीव कुमार और वाईपी शर्मा द्वारा की गई एक स्टडी से पता चलता है कि गुच्ची इकट्ठा करना की वजह से यहां के ग्रामीण और आदिवासी लोगों को कुछ समय के लिए थोड़ी कमाई हो जाती है। इससे होने वाले फायदे के कारण, परिवार के लगभग सभी सदस्य गुच्छी इकट्ठा करने के काम में शामिल होते हैं। 
इन अनोखे मशरूम की डिमांड केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में है। सूखाए गए इन गुच्छी मशरूम को भारत से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात किया जाता है। और इनके एक्सपोर्ट के मामले में हिमाचल प्रदेश राज्य पहले स्थान पर है, उसके बाद जम्मू और कश्मीर का नंबर आता है।

गैर-परंपरागत खाद्य पदार्थों में गुच्छी मशरूम सबसे अधिक पसंद किए जाने वाली खाद्य वस्तु है। ख़ासतौर पर अपने अनूठे स्वाद और बनावट की वजह से। बढ़ते शहरीकरण और जंगलों की अंधाधुंध कटाई के साथ कश्मीर में ऐसी वनस्पतियों की कम हो रही है। चूँकि इन मशरूम की खेती नहीं की जा सकती, इसलिए इनकी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जंगलों में चल रहे गैर-क़ानूनी कब्ज़े को रोकना बहुत ज़रूरी है।