कश्मीर में एक तबका ऐसा भी है जो आज भी कमल ककड़ी नदरू बेच कर भरता है अपना पेट

Written By Rishikesh Pathak Last Updated: May 06, 2023, 06:57 PM IST

कश्मीर में एक तबका ऐसा है जो कमल के फूल और उसके तने को बेच कर अपना पेट भरता है। कमल के तने को आम भाषा में  कमल ककड़ी और कश्मीरी भाषा में नदरू कहा जाता है। कैसे होती है नदरू की कटाई पढ़िए हमारी इस खास रिपोर्ट में । 

कमल का फूल देखने में खुबसुरत और सुगन्धित होता है। इस फूल और उसके तने का इस्तेमाल जड़ी बूटीयों के रूप में भी किया जाता है। इसके तने को कमल ककड़ी कहा जाता है, लेकिन कश्मीर में इसे नदरू कहा जाता है। नदरू का कारोबार इसकी डिमांड पर आधारित है और कश्मीर में लोग इसे खाने में बहुत पसन्द करते है। कश्मीर में डल झील,वुलर झील, मानसर झील में इसको किसान बोया करते है। नदरू काफी महंगा बिकता है और खाने में लाजवाब होने के साथ ही इसके कई मेडिकली फायदे भी है। ये कई तरह की बिमारियों को जड़ से खत्म कर देता है।  एशियाई देशों में कमल के फूल की खेती में फूलों की डिमांड ज्यादा है लेकिन कश्मीर में इसके तने यानि नदरू और उसके बीज की डिमांड काफी ज्यादा है। कमल के फूल के नीचे 4 फीट से ज्यादा लम्बी छड़ के आकार की जड़ होती है। जिसका रंग बिल्कुल सफेद होता है, जोकि हाई बल्ड प्रेशर को तुरन्त कंट्रोल कर देता है।

 

कमल के पत्तों का इस्तेमाल भी दवाईयां बनाने के लिए किया जाता है। नदरू फाइबर का एक अच्छा सोर्स है कब्ज जैसी समस्या इसकों खाने से दूर हो जाती है। तो वहीं अगर किसी का वजन बढ़ रहा हो और वो नदरू को खाये तो अपने वजन पर काबू पा सकता है। बालों और स्कीन की समस्या के साथ ही ये किसी भी तरह का स्ट्रेस हो उसको भी दूर कर देता है। कमल की खेती करने वाले अब्बास बताते है कि हम सात बजे सुबह से झील के पास आ जाते है और फिर काम करना शुरू कर देते है। डल झील के लिए जितनी मछलीयां जरूरी है उतना ही नदरू भी जरूरी है। 2014 में आई बाढ़ ने इन्हें काफी नुकसान पहुंचाया, फिर इन्होंने कमल के बीजों का इन्तजाम कर फिर से काम शुरू किया। कमल को बोने के लिए पहले झील को साफ करना पड़ता है फिर जहां इसकी अच्छी फसल हुई हो वहां से बीजों को लाकर नये तरीके से बोया जाता है तब फसल काफी अच्छी होती है। 

 

कश्मीर में नदरू की बढ़ती डिमांड को देखते हुये किसानों का ये प्रयास रहता है कि वो अच्छी से अच्छी नदरू की किस्म को उगाये लेकिन कई बार अच्छे बीजों के न मिलने के कारण अच्छी पैदावार नहीं हो पाती है जो उन्हें काफी नुकसान पहुंचाती है।