पढ़िए 74 साल के कश्मीरी किसान की कहानी जिसने अपनी समझदारी से, अपनी कमाई को कर दिया 100 गुणा ज्यादा

Written By Rishikesh Pathak Last Updated: May 18, 2023, 01:07 PM IST

भदरवाह :  आज हम आपको कश्मीर भदरवाह के ऐसे किसान की कहानी के बारे में बताते है जिसने अपनी आमदनी को दूगना नहीं करीब सौ गुणा कर दिया है और ऐसा कोई जादू से नहीं हुआ ये उनकी कड़ी मेहनत और उनके फैसले से हो पाया है । कैसे उन्होंने अपने खेतों से होने वाली आमदनी को किया सौ गुणा पढिए हमारी इस खास रिपोर्ट में.... 

भदरवाह जिले के भारोवा खालो और सन्तरा गांव की कहानी ऐसी है की कभी इस जगह पर हर तरफ सूखा हुआ करता था । बमुश्किल से कड़ी मेहनत करने के बाद हाजी मोहम्मद शफी शेख जो यहां के किसान है मक्का की फसल बोते थे और उन्हें इस फसल को उगाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। तब कहीं जाकर वो साल भर में सब जोड़ घटा करके 20 हजार रूपया सालाना कमा पाते थे। उनका पूरा परिवार मुफलसी में अपनी जिन्दगी जी रहा था उनको अपने लिए और अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल हो रहा था। अचानक उनके जीवन में कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी जिन्दगी को बदल दिया.। 980 में उन्होंने अपने पारंपरिक खेतों में ग्रीन नाशपाती सेब और अखरोट उगाना शुरू कर दिया। उन्हें शुरूआती दौर में तो वक्त के थोड़े से थपेड़े लगे, लेकिन वक्त जिस तरह से बितता चला गया उनके जीवन में बदलाव आता चला गया ।   

 

सुखे पड़े खेतो में बागवानी करना चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन किसान होते हुये उन्होंने कभी हार नहीं मानी हाजी मोहम्मद शेख अपनी कहानी बताते हुये कहते है कि पहले जब वो मक्का की फसल करते थे तो बड़ी ही मुश्किल हालतों में खुब मेहनत करने के बावजूद भी 20 हजार रूपये सालाना से ज्यादा नहीं कमा पाते थे।  उनका मानना है कि आज के समय में अगर मेरी कमाई कि तुलना उस समय से की जाये तब भी वो 40 हजार रूपये सालाना से ज्यादा नहीं कमा पाते थे । लेकिन आज उनकी कमाई 20 हजार से बढ़कर करीब सौ गुणा 20 लाख तक हो गई है। आज वो 1.5 मीट्रिक टन विदेशी नाशपाती अपने खेतो में उगा रहे है। इसके पीछे कारण एक है उनका सही समय पर सही फैसला लेना, आज उनके सफल होने पर आस पास के गांव के सभी किसान उनसे बागवानी करना सीखना चाहते है।  

 

हाजी मोहम्मद 5 एकड़ खेत के मालिक थे और सबसे बड़ी समस्या उनकी 74 वर्ष की उम्र भी थी जो उन्हें ज्यादा मेहनत करने से रोकती थी। फिर भी वो कभी मेहनत करने से पीछे नहीं हटे।  हाजी मोहम्मद को शुरू से बागवानी का शौक था जिसे लेकर एक वैज्ञानिक ने डॉ. विकास टंडन ने उन्हें इतलावी नाशपाती के पेड़ दिए, बाद में  उन्होंने अपने खेतो में 200 से ज्यादा इतलावी नाशपती के पेड़ उगाये जिन्हें तैयार होने में तकरीबन 4 साल का वक्त लगा लेकिन अब उनकी फसल जब कट रही है तो मानों पैसो की बरसात हो रही है आज पूरे कश्मीर में उनका माल जाता है और उनसे नाशपाती खरीदकर बिचौलिए उससे कई गुणा दामों पर आगे बेच देते है।  

 

हाजी मोहम्मद अपने संघर्ष की कहानी बताते हुये कहते है कि जब उनकी ग्रीन नाशपाती की पैदावार होने लगी तो उन्होंने अपने साथ इस व्यवसाय में लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया। इस वजह से उनको तो फायदा हुआ ही उनके साथ जुड़ते जा रहे लोगों को भी फायदा होते चला गया । कई लोगों को उनके इस काम से रोजगार मिला है, ग्रीन विदेशी नाशपाती बाजार में काफी महंगा करीब 400 रूपये किलो बिकता है। ये टाइप टू डायबटीज का रामबाण इलाज है जिसके लिए इसे लोग डॉक्टरी सलाह पर खाना पसन्द करते है।  

 

हाजी मोहम्मद शफी शेख आज कश्मीर में एक सफल किसान के रूप में स्थापित है और वो खुद तो विदेशी ग्रीन नाशपाती उगाकर भारी मुनाफा कमा ही रहे है साथ ही कई युवाओं को अपने साथ जोड़कर उन्हें भी रोजगार का अवसर दे रहे है। आज उनकी उम्र उनके बुलन्द इरादो के सामने छोटी नजर आती है।