कश्मीर के युवा इनोवेटर है मुश्ताक अहमद डार जिनकी इनोवेशन ने कमाल कर दिया

Written By Rishikesh Pathak Last Updated: May 09, 2023, 05:07 PM IST

अनंतनाग : एक तरफ जहां कश्मीर अपनी खुबसुरत वादियों और अपनी रवायत के लिए मशहुर है तो दूसरी तरफ यहां का युवा नयी सोच को अपनी ताकत बनाकर नये जोश के साथ कश्मीर के विकास में अपनी भागीदारी दे रहा है। आज हम आपको कश्मीर के युवा इनोवेटर से मिलवाते है जिसके इनोवेशन को एक बार नहीं दो बार राष्ट्रीय अवार्ड से नवाजा गया। पढ़िए हमारी इस खास रिपोर्ट में।    

तस्वीर में किस तरह से एक मशीन अखरोट को छिल रही है तो दूसरी मशीन अखरोट को बराबर हिस्सों में तोड़ रही है। आप सोच रहे होगें कि ये कोई विदेशी गांव की तस्वीरें है जहां पर मशीन से काम हो रहा है लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें ये कोई विदेशी गांव नहीं है और न ही कोई जादूगरी है। ये तस्वीर है कश्मीर के अनंतनाग के गांव की अगर आपको विश्वास नहीं होता तो चलिए हम आपको मिलवाते है महज 28 साल के कश्मीरी युवा मुश्ताक अहमद डार से जिन्होंने अपनी सोच अपने इनोवेशन से एक बार नहीं बल्कि दो बार भारत सरकार से राष्ट्रीय अवार्ड हासिल किया है। दरअसल जो मशीनें अखरोट को छिलने और उसको तोड़ने का काम कर रही है उनको मुश्ताक अहमद ने बनाया है।

ये उनका अपना पेटेन्ट है जिसके लिए उन्हें विदेशों में कई बार बुलाया गया है। उनके इस टैलेन्ट से प्रभावित होकर फिल्म अभिनेता ने भी उनसे मिलकर उन्हें पुरस्कार से नवाजा है। इसके अलावा मुश्ताक ने पोल कैल्मबर और गैस सिलेन्डर करियर भी बनाया है। इसके लिए भी उन्हें काफी लोकप्रियता मिली है। मुश्ताक ने बताया कि वो केवल नवीं क्लास तक पढ़े हुये है और ऐसा इसलिए है क्योंकि नवीं क्लास पढ़ते हुये उनके वालिद का इन्तकाल हो गया और उन पर घर की जिम्मेदारी आ गई और इस परिस्थिति के चलते वो अपनी पढ़ाई को आगे जारी नहीं कर पाये। अखरोट का व्यापार मुश्ताक के पिता करते थे। उन्होंने देखा कि अखरोट को छिलने के लिए लेबर लगानी पड़ती है और फिर उसे तोड़ने के लिए भी लेबर लगानी पड़ती है और इन सब में समय की बर्बादी बहुत ज्यादा हो रही है, फिर मौसम के कारण कई बार लेबर भी नहीं मिलती थी । 

 

मुश्ताक अपने पिता के काम को संभाल तो रहे थे ।  लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, उसे आगे बढ़ाने की । लेकिन काम में समय की बर्बादी को बचाने के लिए उनके दिमाग में एक आइडिया आया जिस पर काम करते हुये उन्होंने अखरोट छिलने और तोड़ने की मशीने बनाई। मशीने बनाने के उनके आइडिया में नेशनल एनोवेशन अहमदाबाद ने समझा और उन्होंने मुश्ताक के आइडिया पर टैकनिकल हेल्प के साथ ही 8 लाख रूपये की फाइनेशिंयल हेल्प भी की। जब उन्हें हेल्प मिली उसके बाद उन्होंने अपने इनोवेशन को मार्केट में उतार दिया जिससे उनको बहुत फायदा मिला। मुश्ताक ने बताया कि उन्होंने देखा कि पोल पर चढ़ने में बहुत भारी भरकम रस्सी को साथ लेकर चलना पड़ता है तो उसे आसान बनाने के लिए उन्होंने पोल क्लीमबर मशीन बनाई जिसकी हेल्प से आप पोल पर आसानी से चढ़ सकते है।

ऐसे ही सिलेन्डर को एक जगह से दूसरे जगह पर ले जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। उस समस्या को मुश्ताक ने गैस सिलेण्डर करियर बनाकर साल्व कर दिया। अब कंधे पर गैस सिलेण्डर लेकर पथरीलें रास्तों पर चलने की जगह इस मशीन की हेल्प से आसानी से गैस सिलेण्डर का वजन ढोया जा सकता है। .मुश्ताक ने बताया कि उनके इस इनोवेशन के लिए उन्हें सिंगापुर में लेक्चर के लिए भी बुलाया गया था। इसके अलावा भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया है । 

 

मुश्ताक अहमद डार जैसे युवा ने अपनी इनोवेशन से साबित कर दिया है कि अगर चाह हो तो राह जरूर मिलती है पंखो से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है।