Jammu Kashmir: केसर की ऊंची क़ीमत के पीछे क्या है वजह? जानिए असल कारण...

Written By Last Updated: Aug 11, 2023, 07:40 PM IST

श्रीनगर:  खाने-पीने से लेकर पूजा-पाठ तक और कोल्ड ड्रिक्ंस से लेकर मसालों तक में इस्तेमाल होने वाला केसर, दुनिया के सबसे महँगे मसाले में से एक है. या यूं कहें कि ये केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. ऐसे में ज्यादातर लोगों के दिमाग़ में ये सवाल एक बार जरूर कौंधता है कि आखिर ये केसर इतना महंगा क्यूँ होता है?

केसर का इस्तेमास हम तरह-तरह के खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाने और फिनिशिंग टच देने के लिए करते हैं. इसके अलावा केसल का इस्तेमाल बहुत से दूसरे कामों में भी किया जाता है. ऐसे में केसर की ऊंची क़ीमत को जानना काफी दिलचस्प हो जाता है. तो चलिए आज हम आपके इस सवाल का जवाब देंगे की केसर इतना महँगा क्यों होता है ? (Why Saffron Is So Expensive?) साथ ही हम केसर की खेती और इसके उत्पादन से जुड़ी बाकि चीजों को भी जानेंगे.

इतना महँगा है केसर

भारत में केसर का इस्तेमाल अलग-अलग कामों में किया जाता है. हालांकि आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मौजूदा वक़्त में 1 किलो केसर की क़ीमत 3 से साढ़े 3 लाख रुपए तक है.  जोकि दुनिया भर के किसी भी मसाले से बहुत ज्यादा है. केसर एक खुशबूदार फूल का पौधा है, जिसके फूल से केसर निकाला जाता है. कश्मीर के लोग इसे जाफरान कहते हैं. केसर अपने औषधीय गुणों की वजह से भी मशहूर है. इसका इस्तेमाल बहुत सी ठंडाई में किया जाता है.

भारत में केसर की खेती सिर्फ जम्मू और कश्मीर में ही की जाती है. कश्मीर में भी जम्मू के किश्तवाड़ और कश्मीर के पांपोर के कुछ चुनिंदा इलाकों में ही केसर की खेती की जा सकती है. अग्रेजी भाषा में केसर के फूल को क्रोकस कहते हैं. केसर अपने फूल से एक धागे की तरह निकाले जाते हैं. जम्मू-कश्मीर में सितंबर से दिसंबर माह  के बीच केसर की खेती की जाती है. देश के सुदूर इलाकों में उगाए जाने वाले केसर के लिए ठंडे वातावरण की जरूरत होती है.

केसर की महंगाई की असली वजह क्या है?


दुनिया भर के बाज़ारों में केसर कीमत तकरीबन 3 लाख रुपए से शुरू होकर साढ़े 3 लाख रुपए तक जाती है. तो चलिए आइये जानते है केसर की मंहगाई की असल वजह क्या है :-

लेबर कॉस्ट- आज जहां दुनिया भर में खेती के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का इस्तेमाल होता है वहीं केसर के उत्पादन में आज भी आदमियों का इस्तेमाल होता है. केसर की फसल से इसके फूलों को हाथ से ही तोड़ना पड़ता है, जिसकी वजह से इस काम में ज्यादा से ज्यादा लेबर का इस्तेमाल होता है. केसर के फूलों के नाजुक होने की वजह से बड़े ऐतिहात के साथ हाथों से अलग करना होता है वरना इनके ख़राब होने का खतरा बना रहता है.

बेहद कम वक़्त के लिए खिलना- केसर के फूल बेहद ही सीमित यानि बेहद कम वक़्त के लिए खिलते हैं. ऐसे में फूलों के खिलने के साथ ही तोड़ना पड़ता है. ये भी इसकी बढ़ी हुई कीमत की एक वजह है.

वातावरण- देश के सुदूर इलाकों में उगाए जाने वाले केसर के लिए ठंडे वातावरण की जरूरत होती है. दुनिया के बहुत ही कम जगहों पर केसर की खेती होती है. भारत में भी इसकी खेती जम्मू-कश्मीर के सिर्फ चुनिंदा इलाक़ों में होती है. 

कम पैदावार- कम खेती की वजह से इसकी फसल भी बहुत कम होती है जोकि इसकी महंगी क़ीमत का सबसे बड़ा कारण है. केसर के एक फूल से सिर्फ 3 धागे निकलते हैं जो असल केसर होते हैं. सिर्फ 400 ग्राम केसर इकट्ठा करने के लिए 75,000 फूलों से केसर निकाला जाता है. यही वजह है कि बाज़ारों में केसर को इतने ऊंचे दामों पर बेचा जाता है.