NC Vs PDP : श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की साख दांव पर, अपने गढ़ में PDP से टक्कर !

Written By Vipul Pal Last Updated: May 13, 2024, 06:54 PM IST

Jammu and Kashmir : कश्मीर की तीन लोकसभा सीट में श्रीनगर की सीट बेहद खास मानी जाती है. 2024 लोकसभा चुनाव में कश्मीर की ये पहली सीट है जिस पर 13 मई को वोटिंग होगी. तयशुदा प्रोग्राम के मुताबिक कश्मीर में सबसे पहले अनंतनाग- रजौरी सीट पर चुनाव होना था. लेकिन अब इस सीट पर 25 मई को वोट डाले जाएंगे.  

गौरतलब है कि श्रीनगर, हमेशा से हॉट और VIP सीट रही है. जिसपर कोई न कोई बड़ा लीडर जरूर मैदान में होता था. बता दें कि साल 2019 में इस सीट से फारूक अब्दुल्ला मैदान में थे. जहां, 57 फीसद से ज्यादा वोट हासिल कर फारूक अब्दुल्ला लोकसभा गए थे. उस वक्त नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख को कुल 106750 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंदी PDP के आगा सैयद मोहसिन कुल 36700 वोट ही जुटा सके थे. 

आग़ा सैयद रूहुल्ला मेहदी को बनाया उम्मीदवार

आपको बता दें कि बढ़ती उम्र और खराब सेहत की चलते फारूक अब्दुल्ला इस बार चुनावी अखाड़े में नहीं है. पार्टी ने आग़ा सैयद रूहुल्ला मेहदी को उम्मीदवार बनाया है. आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी उमर अब्दुल्ला की हुकमत में मंत्री रह चुके हैं. साल 2020 में उन्होंने पार्टी स्पोक्सपर्सन के ओहदे से इस्तीफा दे दिया था. वे सेंट्रल कश्मीर की बडगाम सीट से तीन बार MLA भी रह चुके हैं. 

इसके अलावा, सैयद रुहुल्ला मेहदी का ताल्लुक कश्मीर के मशहूर धार्मिक घराने से है. उनके दादा आगा सैयद मुस्तफा मशहूर शिया आलिम ए दीन थे. उनके वालिद आगा सैयद मेहदी और चचा आगा सैयद हसन अल सफवी मजहबी रहनुमा थे और रुहुल्ला मेहदी को उनका जांनशीं माना जाता है. 

यही वजह है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस की राजनीतिक प्रतिष्ठा यहां दांव पर लगी हुई है. इसकी कारण, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला खुद रुहुल्ला मेहदी के लिए लगातार रैलियां और जनसभाएं कर रहे हैं. बारामूला लोकसभा सीट पर अपनी चुनावी व्यस्तता के बावजूद उमर अब्दुल्ला भी उनके लिए लगातार वोट मांग रहे हैं...

PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस में कड़ी ट्क्कर

श्रीनगर सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का PDP के साथ सख्त मुकाबला देखे जाने की उम्मीद है. बता दें कि PDP ने श्रीनगर सीट से अपने नौजवान उम्मीदवार वहीद उर रहमान पर्रा को मैदान में उतारा है. पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी उनके हक में लगातार दौरे और जनसभाएं कर रही हैं. वहीं, वहीद उर रहमान पब्लिक रैली और जनसभाओं के साथ अलग-अलग इलाकों में ऑउटरीच मुहिम भी चला रहे हैं. 

बता दें कि पुलवामा के रहने वाले वहीद उर रहमान पर्रा ने पीडीपी यूथ विंग से अपने सियासी कैरियर की शुरूआत की थी. पुलवामा डीडीसी चुनाव में वो कामयाब हुए थे. लेकिन इससे पहले वे अपने पद की शपथ लेते, उन्हें देश विरोधी सरगर्मियों को बढ़ावा देने के इल्जाम में जेल जाना पड़ा. 

वहीद उर रहमाने के आने से मुकाबला दिलचस्प

PDP ने उन्हें मैदान में उतार कर नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए मुकाबला और मुश्किल बना दिया है. गौरतलब है कि पुलवामा और शोपियां में पार्टी और वहीद उर रहमान दोनों का खासा असर है. 2014 के असेंबली इल्केशन में इन जिलों की सभी छह सीटों पर पीडीपी ने कब्जा जमाया था. 

बडगाम के चाडूरा और चरार ए शरीफ में भी पार्टी का प्रजेंस अच्छा है. 2014 में भी पीडीपी ने इन दिनों असेंबली हल्कों से जीत हासिल की थी. लेकिन बीते दस सालों में घाटी के सियासी हालात काफी बदल चुके हैं. पीडीपी के अपने कार्यकर्ता ही आज उसके सबसे बड़े विरोधी हैं. इंडिया गठबंधन बनने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ आने की उम्मीद थी लेकिन इसका अंजाम भी गुपकार जैसा ही रहा. यही वजह है कि वहीद उर रहमान पर्रा अपनी रैलियों  में फारूक अब्दुल्ला और अल्ताफ बुखारी दोनों पर हमलावर हैं.

अपनी पार्टी ने मुकाबले को दिया अलग मोड़
  
वहीं, J&K अपनी पार्टी ने श्रीनगर लोकसभा सीट के मुकाबले को ट्रायंगुलर बना दिया है. नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी दोनों ही पार्टियों को इससे खतरा बना हुआ है. बता दें कि अल्ताफ बुखारी भी इन दोनों पार्टियों पर हमलावर हैं. 

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट के इशफाक जब्बार ने भी अपनी पार्टी के समर्थन का एलान कर दिया है. इशफाक जब्बार का गांदरबल जिले में काफी असर है. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के समर्थक भी उनके साथ हैं. 

ऐसे में, बीजेपी के मैदान में न होने से, अपनी पार्टी को भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के समर्थन मिलने की उम्मीद है. बता दें कि अपनी पार्टी ने इस सीट पर अशरफ मीर को टिकट दिया है. अपनी पार्टी प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने चुनावी प्रचार में अपनी पूरी ताकत लगा दी है. 

अपनी पार्टी के कार्यकर्ता समाज के हर तब्के तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है. यहां तक की पार्टी के नेता दरगाह और इबादत गाहों पर भी हाजिरी दे रहे हैं. अल्ताफ बुखारी और पार्टी के सीनियर लीडरान वोटर्स को ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं ये सच और झूठ की लड़ाई है. ऐसे में वे अपनी पार्टी का साथे दें...

गुलाम नबी की DPAP भी आजमा रही किस्मत

गुलाम नबी आज़ाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (DPAP) के उम्मीदवार आमिर भट भी इस सीट से अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं. हालांकि श्रीनगर लोकसभी क्षेत्र में दूसरी पार्टियों के मुकाबले DPAP की चुनावी सरगर्मियां काफी सुस्त दिखाई दे रही हैं. खुद पार्टी प्रमुख गुलाम नबी आज़ाद ने भी यहां से कोई बड़ी रैली नहीं की. 

13 मई को होगा अहम फैसला 

वहीं, राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ प्रशासन भी अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है. चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित किए जाने के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए जा चुके हैं. वोटिंग डे से पहले बुजुर्गों और दिव्यांग वोटर्स ने होम वोटिंग के जरिए अपना फैसला बैलेट बॉक्स में बंद कर दिया है. अब देखना है कि 13 मई को बाकी वोटर्स किसके हक में फैसला करते हैं...