Jammu and Kashmir : इलेक्शन कमीशन ने जम्मू कश्मीर के 13वें असेंबली अलेक्शन की तारीखों का एलान कर दिया है. आर्टिकल 370 की खात्में के बाद जम्मू कश्मीर में ये पहला असेंबली इलेक्शन है. स्पेशल स्टेट का दर्जे के चलते जम्मू कश्मीर की हैसियत अन्य राज्यों से अलग थी. यहां असेंबली का कार्यकाल भी 6 साल का हुआ करता था.
जम्मी कश्मीर में अब कुल 90 विधानसभा सीटें
आखिरी बार, जम्मू कश्मीर में साल 2014 में असेंबली इलेक्शन हुए थे. उस वक्त असेंबली में 87 सीटें हुआ करती थीं. इनमे चार सीट लद्दाख की थी. वहीं, डिलिमिटेशन के बाद जम्मू कश्मीर असेंबली में विधानसभा की सीटों को बढ़ाकर 90 कर दिया गया है. यानी परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में 7 सीटों का इज़ाफा हुआ है. इनमें 47 कश्मीर और 43 सीट जम्मू खित्ते के लिए निर्धारित हैं. जम्मू कश्मीर असेंबली चुनाव का सात दशकों से ज्यादा का इतिहास अब तक काफी दिलचस्प रहा है. बीते 75 बरसों में जम्मू कश्मीर ने सियासी तौर पर कई उतार चढ़ाव देखे है. हालांकि, इतिहास का पहला पन्ना पलटने की चलन से हटते हुए, आज हम इसकी शुरूआत आखिरी चुनाव से करते हैं. जो साल 2014 के 25 नवंबर से 20 दिसंबर के दरमियान पांच चरणों में हुए थे.
गौरतलब है कि 2014 में जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की मिली जुली हुकूमत थी. असेंबली चुनाव से ठीक पहले ये गठबंधन टूट गया. कांग्रेस ने सभी 87 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का एलान कर खुद को गठबंधन से अलग कर लिया. वहीं, दूसरी तरफ 2014 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद बीजेपी भी इस चुनाव में पूरे दमखम के साथ मैदान में थी. हुर्रियत ने इस इलेक्शन का बायकॉट किया. बावजूद इसके, 2014 के असेंबली इलेक्शन में वोटर्स ने लोकतंत्र में विश्वास जताते हुए, बढ़ चढ़ कर वोट किया.
सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी PDP
बता दें कि 2014 के असेंबली इलेक्शन के वक्त जम्मू कश्मीर में 73 लाख 16 हजार 946 वोटर्स थे. जिनमें से 65.91 फीसद ने मतदान किया. 25 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच हुए चुनाव में 28 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली महबूबा मफ्ती की PDP, सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी. PDP को 22.7 फीसद वोट मिले. PDP के खाते में कुल 10 लाख 92 हजार 203 वोट पड़े.
BJP की सियासत बदली
हालांकि, इस इलेक्शन में सबसे ज्यादा फायदा BJP को मिला. 2008 के असेंबली चुनाव में 11 सीट जीतने वाली बीजेपी को 2014 में 25 असेबंली सिटों पर कामयाबी मिली. इस चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा, 23 फीसद वोट मिले. 2014 के विधानसभा चुनाव में जम्मू के अलावा, चिनाब रीजन में भी बीजेपी ने मजबूती के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. बीजेपी को 11 लाख 7 हजार 194 वोटर्स का समर्थन मिला.
गठबंधन टूटने का सबसे ज्यादा नुकसान नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) को हुआ. हांलाकि पार्टी के वोट शेयर में, सिर्फ सवा दो फीसद की ही कमी आई. लेकिन इसके नतीजे में उसे 2008 के चुनाव में जीती गई 13 सीटें गंवानी पड़ गई. खुद उमर अब्दुल्ला को सोनावार सीट पर PDP के अशरफ मीर के हाथों हार का सामना करना पड़ा. बता दें कि 2008 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 28 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2014 के असेंबली इलेक्शन मे नेशनल कॉन्फ्रेंस को 20.8 फीसद यानी दस लाख 693 वोट मिले. कांग्रेस को भी पांच सीटों का नुकसान उठाना पड़ा और वो 17 से 12 पर सिमट गई.
कांग्रेस-NC गठबंधन टूटा तो PDP को हुआ फायदा
कांग्रेस को 18 फीसद यानी 8 लाख 67 हजार 883 वोट मिले. 2008 की तरह इस बार भी किसी पार्टी को वाजेह अकसरियत / पूर्ण बहुमत नहीं मिला. 44 के जादूई आंकड़ा हासिल करने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पहले BJP और फिर PDP को साधना चाहा. लेकिन बात नहीं बन पाई. जिसके बाद PDP-BJP के बीच बात-चीत शुरू हुई. दो माह से ज्यादा चली बातचीत के बाद कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर समझौता हुआ. और एक मार्च 2015 को मुफ्ती मोहम्मद सईद की अध्यक्षता में पीडीपी - बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी. ये पहला मौका था जब बीजेपी को जम्मू कश्मीर सरकार में जगह मिली.
PDP सरकार बनी और बिगड़ी
समझौते के तहत डिप्टी सीएम और स्पीकर का पद बीजेपी को मिला. मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती चीफ मिनिस्टर बनीं. लेकिन गठबंधन की ये सरकार अपने कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई. 19 जून 2018 को बीजेपी ने सरकार से अलग होने का एलान कर दिया. नवंबर 2018 में गवर्नर ने विधानसभा भंग कर दी और 20 दिसंबर 2018 को सूबे में राज्यपाल शासन लागू हो गया. अगस्त 2019 में भारतीय पार्लियामेंट ने जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म कर जम्मू कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन एक्ट के जरिए जम्मू कश्मीर और लद्दाख को यूनियन टेरिटरी बना दिया...