Jammu and Kashmir: नॉर्थ कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की कर्णाह घाटी में मौजूद सिमारी गांव, जो भारत का पहला मतदान केंद्र वाला गांव भी है, आजादी के बाद पहली बार पूरी तरह से रौशन हो गया है. दरअसल, पुणे स्थित NGO आसीम फाउंडेशन और भारतीय सेना की वज्र डिवीजन की साझेदारी से इस गांव में बिजली बहाल हुई है.
बॉर्डर पर बसे इस गांव में कुल 53 परिवार रहते हैं. यहां अब सौर ऊर्जा से बिजली और LPG गैस की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है. गांव के मुखिया ने भावुक होकर कहा, "यह हमारे लिए आज़ादी की असली खुशी है. पहली बार गांव में बिजली आई है, बच्चों की पढ़ाई में अब अंधेरा नहीं होगा. हमें यकीन नहीं हो रहा कि हमारा सालों पुराना सपना पूरा हो गया है."
एक बुजुर्ग ग्रामीण, जिनकी उम्र 81 वर्ष है, ने कहा, "मैंने अपने जीवन में कभी बिजली की रौशनी नहीं देखी थी. आज पहली बार यह खुशी महसूस कर रहा हूं. यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक वरदान है."
इस परियोजना के तहत गांव में सौर माइक्रो ग्रिड और एलपीजी किट्स की व्यवस्था की गई है, जिससे लोगों की जीवनशैली में भारी बदलाव आया है.
आसीम फाउंडेशन के अध्यक्ष सरंग गोसावी ने बताया कि यह पहल शहीद कर्नल संतोष महाडिक की याद में समर्पित है, जिन्होंने देश सेवा में अपना बलिदान दिया था। इस सिस्टम में "पावर लिमिटर" जैसी तकनीक भी जोड़ी गई है, जिससे हर घर को समान मात्रा में बिजली मिल सके.
इस मौके पर कर्नल महाडिक की मां कलिंदा महाडिक, सेना के टंगधार ब्रिगेड कमांडर और सरंग गोसावी ने मिलकर इस सौर परियोजना का उद्घाटन किया.
सेना ने अपने बयान में कहा, "चिनार कॉर्प्स और आसीम फाउंडेशन की यह पहल सीमावर्ती इलाकों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है."