Baramulla Lok Sabha : बारामूला में होगा चौतरफा मुक़ाबला ! वोट बैंक बचाने की कोशिश में उमर अब्दुल्ला...

Written By Vipul Pal Last Updated: May 17, 2024, 06:29 PM IST

Jammu and Kashmir : जम्मू कश्मीर के बारामूला लोकसभा सीट पर इस बार का मुकाबला काफी दिलचस्प है. उमर अब्दुल्ला अपने गढ़ यानी श्रीनगर की अपनी सीट छोड़ कर, इस बार बारामूला से किस्मत आज़मा रहे हैं. सेंट्रल  कश्मीर की तरह उत्तरी कश्मीर की इस सीट पर भी नेशनल कॉन्फ्रेंस की पकड़ मजबूत रही है. लेकिन हालिया बरसों में उसका सपोर्ट बेस दरकता नजर आ रहा है. 

जहां, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अवामी इत्तेहाद पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के वोट बैंक में सेंध लगाना शुरू किया है. माना जा रहा है कि पार्टी के खिसकते वोट बैंक को बचाने के लिए ही, उमर अब्दुल्ला ने बारामूला से इलेक्शन लड़ने का फैसला किया है. 

आपको बता दें कि बारामूला लोकसभा सीट की खास बात ये हैं कि सेंट्रल और साउथ कश्मीर के बनिस्बत यहां वोटिंग प्रतिशत हमेशा ज्यादा रहा है. गौरतलब है कि बारामूला लोकसभा सीट 1967 में बनी थी. पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सैयद अहमद आग़ा ने जीत हासिल की. फिर, साल 1971 में कांग्रेस, इस सीट को बचाए रखने में कामयाब रही. हालांकि, इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पहली बार यहां से जीत हासिल की. 

साल 1977 से शुरू हुआ नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत का सिलसिला, 1989 तक जारी रहा. 1977 में अब्दुल अहद ने जीत हासिल की. 1980 में इंदिरा लहर के बावजूद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार ख्वाजा मुबारक शाह जीत हासिल करने में कामयाब रहे. इसी तरह 1984 में राजीव लहर में सैफुद्दीन सोज़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर चुनाव जीते. 1989 में भी सोज़ को कामयाबी मिली. 

जिसके बाद, बारामूला सीट पर वापसी करने में कांग्रेस को 20 साल लग गए. 1996 में कांग्रेस के रसूल कार यहां से सांसद चुने गए. हालांकि, 1998 में नेशनल कॉन्फ्रेंस की दोबारा वापसी हुई. जिसके बाद, अगले 16 सालों तक नेशनल कॉन्फ्रेंस का इस सीट पर एकछत्र राज रहा. बता दें कि 1996 के चुनाव में सैफुद्दीन सोज़ तीसरी बार यहां से MP चुने गए. जिसके बाद, 1999 और 2004  में अब्दुल राशिद शाहीन को कामयाबी मिली. बाद में, 2009 में पार्टी के टिकट पर  शरीफ शारिक कामयाब हुए. 

वहीं, साल 2014 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को पहली बार कांग्रेस के अलावा किसी दूसरी पार्टी से सख्त चुनौती मिली. PDP के मुजफ्फर शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के शरीफ शारिक को 29 हजार वोट से हराकर, पार्टी का खाता खोला.  इस चुनाव में, मुज़फ्फ़र शाह को 175277 वोट जबकि शरीफ शारिक को 146058 वोट मिले. 2014 में इस सीट पर 40 फीसद वोटिंग हुई थी. 2019 में पार्टी ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की. जिसमें, अकबर लोन ने पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के राजा एजाज़ अली को शिकस्त दी. इस बार भी नेशनल कॉन्फ्रेंस को पीपुल्स कॉन्फ्रेंस से सख्त मुकाबले का सामना है...