Jammu and Kashmir : जम्मू-कश्मीर में मौजूद एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीलों में से एक वुलर झील, इन दिनों आकर्षण का केंद्र बन गई है. इसकी वजह, झील में एक लाख प्रवासी परिंदों के बड़े-बड़े झुंडों का आना है. साइबेरिया, मध्य एशिया (Central Asia) और यूरोप के ठंडे इलाकों से प्रवास करने वाले इन पक्षियों की आमद, घाटी में सर्दियों की शुरुआत का सुबूत है...
वुलर झील में देखी गईं नई प्रजातियाँ
इस साल, वुलर झील में नई प्रजाति के पक्षियों ने भी प्रवास किया है. झील के पानी में ग्रेट बिटर्न, फाल्केटेड डक, हॉर्नड ग्रीब, वेस्टर्न रीफ हेरॉन, स्मू डक, लॉन्ग-टेल्ड डक, पैसिफिक गोल्डन पोलोवर और ब्रॉड-बिल्ड सैंडपाइपर जैसी कुछ दुर्लभ प्रजातियों का भी देखा जा सकता है. इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों के प्रवास से प्रकृति प्रेमियों और पक्षी देखने वालों के लिए जन्नत में तब्दील हो गई है.
वहीं, बांदीपोरा के स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि पक्षियों के आने से पर्यटन में भी बढ़ोत्तरी होगी. स्थानीय अधिकारियों ने भी इन पक्षियों के प्रवासी मार्गों और आवासों की सुरक्षा के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है. साथ ही, पक्षियों के प्रवास के दौरान इन्सानों को कम से कम दखल देने के लिए जागरूकता अभियान और गश्ती दल तैनात किए गए हैं.
वन संरक्षण बल (FPF) के डिप्टी डॉयरेक्टर ने कहा, "ये पक्षी केवल देखने मात्र के लिए नहीं हैं. वे हमारे ईको सिस्टम का एक अहम हिस्सा हैं. उनकी रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है."
आपको बता दें कि वुलर झील का महत्व, इसके पारिस्थितिक महत्व से परे है, जो पर्यटकों और फोटोग्राफरों को झील में मौजूद पक्षियों के झुंडों के शानदार दृश्यों को कैद करने के लिए उत्सुक करता है.
इसके अलावा, झील के पास रहने वाले स्थानीय लोगों को भी टूरिस्ट्स की आमद से आर्थिक रूप से मुनाफा होता है.
वुलर संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण (WUCMA) के अधिकारियों ने कहा कि इस बार, झील प्रवासी परिंदों से भरी हुई है और हर गुजरते दिन के साथ, विभिन्न देशों और पड़ोसी आर्द्रभूमि (wetlands) से पक्षियों के अधिक से अधिक झुंड आ रहे हैं."