Jammu and Kashmir : जैसे जैसे सर्द मौसम ने कश्मीर पर अपनी गिरफ़्त मज़बूत करना शुरू कर दिया है. ऐसे में उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा स्थित वादी ए गुरेज़ के किसान अपनी फसल को बचाने के लिए एक पुरानी रियावत को अपना रहे हैं.
सदियों पुरानी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ये किसान अपनी ताज़ा कटे हुए आलू की फसलों को ज़मीन के नीचे गहराई में दफ़न कर देते हैं ताकि उनकी फसल को सख़्त तरीन सर्दियों में इस्तेमाल के लिए महफ़ूज़ रखा जा सके. ये रिवायती तरीक़ा, जो नस्ल दर नस्ल गुज़र रहा है. गुरेज़ के लोगों के लिए एक लाइफलाइन साबित हुआ है.
आपको बता दें कि इस तकनीक से जब वादी तक़रीबन 6 माह तक बर्फ़ से ढकी होती है तक भी इन लोगों के खाने की सप्लाई बरक़रार रहती है. वादी ए गुरेज़ में सालाना तक़रीबन 15 हज़ार टन आलू की पैदावार होती है. जो जम्मू कश्मीर के एग्रकल्चर सेक्टर का महत्वपूर्ण हिस्सा है. वादी की ज़रख़ेज़ मिट्टी और मुनफ़रिद आबो गला इसे इंतेहाई मौमस सुर्मा के हालात के बावजूद इसे आलू की खेती के लिए एक मिसाली मक़ाम बनाती है...