Jammu and Kashmir : अनंतनाग के अचबल इलाके और आसपास के इलाकों में पीने के पानी की किल्लत है. मशहूर अचबल झरने के सूखने से 12 से ज्यादा गांवों में पानी की कमी हो गई है. इस झरने का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल महारानी नूरजहां ने कराया था, जो अब सूख चुका है.
प्रशासन और स्थानीय पुलिस टैंकरों के जरिए पानी सप्लाई करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन पानी की जरूरत सप्लाई से कहीं ज्यादा है. इससे इलाके के बाशिंदों की रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा असर पड़ा है. संकट के इस वक्त में स्थानीय नौजवान आगे आकर लोगों की मदद कर रहे हैं. उनका निस्वार्थ योगदान पानी सप्लाई में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है, जिससे जरूरतमंदों को तत्काल राहत मिल रही है.
प्रशासन हालात को सुधारने के लिए स्थानीय अधिकारियों, स्वयंसेवकों और पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि सभी निवासियों को पानी मुहैया कराया जा सके. इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान खोजने के प्रयास जारी हैं, ताकि भविष्य में लगातार और साफ पानी की सप्लाई जारी रहे.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट के पीछे जलवायु परिवर्तन, कम बारिश और घटते ग्राउंड वॉटर लेवल जैसे कारक हैं. इस साल सर्दियों में कम बर्फबारी और बारिश ने झरनों और नदियों के सूखने की समस्या को बढ़ा दिया है.
ऐसे में, प्रशासनीक अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय नौजवानों का समर्पण और प्रयास इस संकट में एक उम्मीद की किरण है. उनकी तत्परता हमारे समुदाय की ताकत का प्रतीक है. प्रशासन भी दीर्घकालिक रणनीतियों पर काम कर रहा है, ताकि जल स्रोतों की बहाली और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सके, जिससे भविष्य में ऐसे संकटों से बचा जा सके.
इस संकट ने न केवल स्थानीय निवासियों के जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि अचबल मुगल गार्डन की सुंदरता को भी प्रभावित किया है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था। झरने के सूखने से गार्डन की रौनक फीकी पड़ गई है.
आवश्यक है कि हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझें और अपने जल संसाधनों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को ऐसे संकटों का सामना न करना पड़े.