जम्मू SC-ST Bill : एक तरफ जहां लोकसभा ने जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने को मंज़ूरी दे दी तो वहीं, दूसरी तरफ गुज्जर-बकरवाल समुदाय बुरी तरह नाराज़ हो गया है. मंगलवार को जम्मू विश्वविद्यालय में गुज्जर-बकरवाल समुदाय से जुड़े छात्रों ने इसका विरोध किया है. इसी वजह से जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ में एहतियातन तौर पर इंटरनेट सर्विस भी बंद की गई.
लेकिन अब इस नाराज़गी की वजह क्या है? ये हम आपको बताते हैं. मगर पहले आपको बता दें कि ये कोई पहला मौका नही है जब गुज्जर-बकरवाल समुदाय में इस तरह नाराज़गी देखी गई. इससे पहले भी कई मर्तबा बकरवाल समुदाय पहाड़ियों को एसटी के दर्जे का विरोध कर चुके हैं. इसको लेकर समय समय पर रैली, रोष-प्रदर्शन हो चुके हैं. और अब एक बार फिर इसका विरोध किया गया.
अब इसकी वजह हम आपको बताते हैं. दरअसल, अब तक सिर्फ गुज्जर-बकरवाल समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा हासिल था और इस समुदाय के लोगों को ही सरकारी नौकरियों में 9 प्रतिशत रिज़र्वेशन मिला था. ऐसे में अब जब पहाड़ियों को भी अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जा रहा है तो ऐसे में गुज्जर-बकरवाल समुदाय इसको लेकर ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन कर रहा है. समुदाय का दावा है कि इससे उनके समुदाय को मिले रिज़र्वेशन में कटौती की जाएगी. उन्होंने कहा है कि, 'जम्मू कश्मीर में पहाड़ी एक अच्छी तरह से बसा हुआ समुदाय है जिसे आरक्षण की ज़रुरत नही है.'
उधर, इस फैसले से पहाड़ी लोगों में खुशी का माहौल है. पहाड़ी लोगों का मानना है कि इन्हें न तो अबतक कोई आरक्षण मिला था ना ही रोजगार मिल सका. जबकि उनका इनका रहन-सहन गुज्जर-बकरवालों की तरह है. हालांकि गुज्जर बकरवालों को पहले ही कोटा मिल गया था. मगर उनके समुदाय को सरकार की ओर से कोई लाभ नही मिल पा रहा था. लेकिन इस फैसले के बाद अब उन्हें भी नौकरी हासिल करने में राहत मिलेगी. और उनकी जीवन शैली में सुधार के साथ उनकी संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा.
हालांकि गुज्जरों और बकरवालों समुदाय के लोग इस फैसले से खासे नाराज़ है. और यहां तक धमकी दे रहे हैं कि अगर इस फैसले में बदलाव नही किया गया तो वो अपना विरोध प्रदर्शन तेज़ करें और सड़कों पर रैलियां निकालेंगे.
गुज्जरों और बकरवालों के सदस्यों को ये डर है कि उनका आरक्षण घट सकता है पहाड़ियों को आरक्षण मिलने से हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि पहाड़ियों को एसटी का दर्जा देने से गुज्जर-बकरवाल समुदाय के लिए किए गए आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ेगा.