जम्मू कश्मीर Saffron : केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में केसर की पैदावार को लेकर बड़ा बयान दिया है. केंद्र ने मंगलवार को कहा कि साल पिछले 13 साल में यानि साल 2010 से लेकर 2024 तक केसर के उत्पादन में 67 परसेंट से ज्यादा की गिरावट आई है, हालांकि पिछले साल इसके उत्पादन में 4 फीसदी का मामूली इज़ाफा दर्ज किया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी के एक सवाल के जवाब में एग्रीकल्चर एंड फॉर्मर वेलफेयर मिनिस्टर अर्जुन मुंडा ने ये जानकारी दी.
केंद्रीय मंत्री मुंडा ने कहा कि, 'इस बारे में जम्मू कश्मीर के फाइनेंशियल कमिश्नर (राजस्व) कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में केसर का उत्पादन 2010-11 में आठ मीट्रिक टन से घटकर 2023-24 में 2.6 मीट्रिक टन हो गया. जिसकी वजह से इस अवधि में उत्पादन में करीबन 67.5% की गिरावट आई. हालांकि पिछले एक साल में केसर उत्पादन में 4 प्रतिशित की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
आगे उन्होंने कहा कि, 'जम्मू-कश्मीर के योजना एवं कृषि उत्पादन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत 128 गहरे बोरवेलों में से 123 का निर्माण बागवानी विभाग के जानिब से किया गया. और दोहन, स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के साथ जोड़ने के लिए इन बोरवेलों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग कश्मीर को सौंप दिया गया है.
मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, कश्मीर ने 2187.08 हेक्टेयर की सिंचाई करने वाले 73 गहरे बोरवेलों को स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के साथ सफलतापूर्वक जोड़ा. हालांकि, सिंचाई सुविधाओं का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. इसकी वजह मिशन दिशानिर्देशों के मुताबिक बोरवेलों के प्रबंधन और रखरखाव के लिए उपयोगकर्ता समूह का नहीं होना बताया जा रहा है.
आगे उन्होंने कहा कि, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कृषि उत्पादन विभाग के योजना से प्राप्त जानकारी के अनुसार, किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान से सीमेंट की धूल जैसे कारकों के कारण केसर के फूलों पर प्रतिकूल प्रभाव की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.
कृषि उत्पादन विभाग, राजस्व अधिकारियों, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के साथ मिलकर केसर अधिनियम, केसर नियम और अन्य राजस्व कानूनों को लागू किया जा रहा है, ताकि केसर उत्पादित भूमि को किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग न लाया जाए.