Kashmiri Outfit Pheran: कश्मीर में कड़ाके की ठंड से बचने के लिए कश्मीरी तरह-तरह के जुगाड़ अपनाते हैं लेकिन कुछ तरीके ऐसे भी है जो वहीं की रिवायत बन चुके हैं. बाज़ारों में ठंड से बचाव के लिए नए-नए उपरकण मौजूद हैं. मगर इसके बावजूद कश्मीरी ठंड पर काबू पाने के लिए रिवायती तरीकों को ही अपनाते हैं. कश्मीर की पारंपरिक चीज़ों में से एक बेहद ही मशहूर और अहम चीज़ है 'फेरन' (Pheran). या यूं कहें कि कश्मीर की पहचान है 'फेरन'. फेरन कश्मीर में ठंड से लड़ने के लिए कई सालों से कश्मीर के कल्चर का हिस्सा बना हुआ है. फेरन 21वीं सदी में भी अपनी पहचान क़ायम किए हुए है. आज भी आप हर कश्मीरी को फेरम पहने देख सकते हैं. कहा जाता है कि मिडल ईस्ट से हज़ारों साल पहले जब कश्मीर में इस्लाम क़ायम हुआ था तब ही से कश्मीरियों ने फेरन को अपनाया था.
फेरन आज हर कश्मीरी की ज़रूरत बन चुका है. फेरन एक तरह का लंबा कोट है जो कंधों से लेकर पैर की एड़ियों तक पहना जाता है. यह लंबा कोट मोटे ऊन के कपड़े से तैयार किया जाता है. फेरन सरद हवाओं से बचाने में मदद करता है. ये बेहद ही आरामदायक होता है साथ ही मेडिकली भी फायदेमंद है. फेरन को पहनने के बाद बाहर की ठंड़ी हवाओं से कोई नाता नहीं रहता है. इसे पहनने वाला गरमाहट महसूस करता रहता है जिससे वो आसानी से अपने काम पर ध्यान दे सकता है. अब आप सोच रहे होंगे ये अहम फेरन जो इतने फायदों से भरा है तो इसकी क़ीमत भी तगड़ी होगी तो आपको बता दें कि आप बिल्कुल ग़लत सोच रहे हैं. यह पहनावा जेब के लिए फायदेमंद है मतलब ये कि ये बाकि ऊनी और गर्म पहनावों में से सबसे सस्ता पहनावा फेरन ही है. पहले ये फेरन अपनी बनावट की वजह से स्कूल कॉलेज और दफ्तरों में इस्तमाल नहीं होते थे. लेकिन वक़्त के साथ-साथ इसमें भी बदलाव किया जाने लगा. फेरन की साज सजावट कर, उसमें तरह तरह के कारीगरी कर के इसकी बनावट में बदलाव लाया गया. ताकि इसका इस्तेमाल बढ़ सके और सब की ज़रूरतों को पूरा कर सके.
कहा ये भी जाता ही कि ये फेरन तब तक अधूरा माना जाता है जब तक इसके अंदर कांगड़ी (kangri) ना रखी जाए. दुनिया में बाकी जोड़ियों की तरह फेरन और कांगड़ी की जोड़ी भी खूब मशहूर है. कांगड़ी कश्मीर के चलते फिरते हीटर को कहते हैं. इसमें सुलगते हुए अंगारे फिरन के अंदर और ज़्यादा गर्माहट देता रहता है. कांगड़ी को कश्मीरी फिरन में रखकर कही भी चल पड़ते हैं. साथ ही रात में बड़े आराम से बिस्तर में भी कांगड़ी को लेकर सो जाते हैं.