Jammu and Kashmir : असेंबली चुनाव में शानदार कामयाबी के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस पूरी ताकत के साथ पंचायती चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. बता दें कि पार्टी ने 2018 के पंचायती चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था. बाद में पार्टी की आला कमान ने अपने इस फैसले पर अफसोस भी जाहिर किया. सरकार में आने से पार्टी के हौसले बढ़ गए हैं और पंचायती चुनाव में वह इस कामयाबी को दोहराना चाहती है. इसको लेकर, नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर के साथ-साथ जम्मू रीजन पर खास फोकस कर रही है. मीटिंग्स, जनसंपर्क अभियान और मेंबरशिप ड्राइव के जरिए पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कोशिश की जा रही है.
आपको बता दें कि असेंबली पार्टी में नेशनल कॉन्फ्रेंस को जम्मू खित्ते में कोई खास कामयाबी नहीं मिली थी. पंचायत चुनाव में पार्टी इसकी भरपाई करना चाहती है. सीनियर लीडरान को उम्मीद है कि असेंबली की तरह पंचायती चुनाव में भी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी. साल 2018 के पंचायत इलेक्शन में जम्मू-कश्मीर में कुल 74 फीसदी वोटिंग हुई थी. सबसे ज्यादा 83.5 फीसद वोटिंग जम्मू खित्ते में हुई थी. जबकि कश्मीर में वोटिंग फीसद 44.4 ही रहा था. नेशनल कॉन्फ्रेंस जहां जम्मू में अपना बेस मजबूत करने की कोशिश कर रही है.
वहीं, बीजेपी कश्मीर में अपनी सियासी जमीन तलाश करने में जुटी है. इसके मद्देजर बीजेपी की तरफ से बड़े पैमाने पर लोगों को पार्टी से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. आम कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी के सीनियर लीडरान भी इस मुहिम से जुड़े हुए हैं. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सत शर्मा को यकीन है कि पंचायत चुनाव में पार्टी के वोट शेयर में और बेहतरी आएगी.
लोकल और बीजेपी की बढ़ती सियासी ताकत के चलते कांग्रेस आज भी अपनी सियासी जमीन वापस पाने के लिए जद्दोजेहद कर रही है. एनसी से गठबंधन के बावजूद असेंबली चुनाव में पार्टी को कोई खास कामयाबी नहीं मिली. मायूसीपूर्ण प्रदर्शन के बाद Organizational स्तर पर बड़े फेरबदल की चर्चा हो रही हैॉ. सूत्रों के मुताबिक, पंचायत चुनाव में पार्टी नए चेहरों पर दांव लगाना चाहती है ताकि कांग्रेस को खोई साख बहाल हो सके. JKPCC अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा का कहना है कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने के साथ ही तंजीमी सतह पर भी कमियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है.
असेंबली चुनाव के बाद कश्मीर में पीडीपी के सियासी भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं. विधानसभा में उसके सदस्यों की तादाद घटते घटते तीन तक पहुंच गई है. अन्य लोकल पार्टियों ने भी उसके वोट बैंक में सेंध लगा दी है. ऐसे में पंचायत इलेक्शन पीडीपी के सियासी बक़ा के लिए बड़ा टेस्ट हो सकता है.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में कुल 4291 पंचायतें हैं. पंचायत चुनाव में 65 लाख से ज्यादा वोटर्स सरपंच और पंचों का चुनाव करेंगे. हर पंचायत से एक सरपंच चुना जाता है. सबसे ज्यादा 402 पंचायतें बारामूला जिले में है. चार जिलों में 300 से ज्यादा पंचायतें है. इनमें कुपवाड़ा में 385, अनंतनाग में 335 , राजौरी में 312 और जम्मू में 305 पंचायतें हैं. पांच अज़ला में 200 से ज्यादा पंचायतें हैं. जिनमें बडगाम में 296, कठुआ में 257, डोडा में 237, उधमपुर में 236 और पुंछ में 229 पंचायतें हैं. वहीं पुलवामा में 190, कुलगाम में 178, रियासी में 153, बांदीपोरा में 151, रामबन में 143, किश्तवाड़ में 136 , गांदरबल में 126 और सांबा में 101 पंचायतें हैं. सबसे कम 21 पंचायत श्रीनगर जिले में और शोपियां में 98 पंचायतें हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि 2025 के शुरूआत में भी पंचायत चुनाव हो सकते हैं. वोटर लिस्ट के रिव्यू का अमल जारी है. इस हवाले से 23 और 24 नवंबर को स्पेशल कैम्प लगाए जाएंगे. 30 नवंबर और एक दिसंबर को भी कैम्प लगाए जाएंगे. वोटर लिस्ट को लेकर अपनी शिकायतें 9 दिसंबर तक दर्ज कराई जा सकती है. 23 दिसंबर तक सभी शिकायतों का निमटारा कर 6 जनवरी तक आखिरी वोटर लिस्ट जारी होनी है. इसके अलावा ओबीसी कमीशन की तरफ से रिजर्वेशन का भी काम जारी है...