महबूबा मुफ़्ती का जन्म 22 मई 1959 को अखरण नोव्पोरा अनंतनाग ज़िले में हुआ था .वालिद का नाम मोहम्मद मुफ़्ती सईद और मां का नाम गुलशन नज़ीर हैं. महबूबा के भाई तस्सदुक हुसैन और इनकी एक बहन रुबिया भी है जो कि अगवाह हो जाने के वजह से बहुत दिनों तक देश की ख़बरों की सुर्खियों का हिस्सा बनीं रही थी . कश्मीर की वादियों में पली बढ़ीं महबूबा ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ कश्मीर से अपनी लॉ की डिग्री हासिल की. पढ़ाई के बाद उन्होने अपने पिता के साथ राजनीति की शुरूआत तब की थी जब राज्य में दहशतगर्द चरम पर था.
महबूबा ने 1996 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति में क़दम रखा. उन्होंने 2004 में अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र से संसद के निचले सदन के लिए चुने जाने से पहले लगातार दो बार कश्मीर के विधायक के तैर पर काम किया. 2014 में फिर से वो सांसद बनीं. इसके बाद 2016 में अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के मौत के बाद वो जम्मू-कश्मीर की पहली ख़ातून मुख्यमंत्री बनीं. उन्होंने दो साल तक सरकार चलाई, लेकिन 2018 में जब भाजपा ने समर्थन वापस लिया तो उनको इस्तीफ़ा देना पड़ा
महबूबा मुफ्ती साल 1989 में तब पहली बार चर्चाओं में आईं , जब उनकी छोटी बहन रुबिया सईद को अग्वाह कर लिया गया. रुबैया उस दौरान श्रीनगर के एक अस्पताल में मेडिकल इंटर्नशिप कर रही थीं. यह किडनैप दहशतगर्नेदों ने साल 1989 में एयर प्लेन को अपने कब्ज़े में लेकर किया था जिसमें कई मुसाफ़िर मौजूद थे जिनके बदले में कुख्यात दहशतगर्द को रिहा किया गया था . उन सभी मुसाफ़िरों में से एक मुसाफ़िर महबूबा की छोटी बहन रुबिया थी . उस वक़्त वालिद मुफ्ती मोहम्मद सईद को वीपी सिंह सरकार में गृहमंत्री बने मुश्किल से पांच दिन ही बीते थे. तब महबूबा मुफ्ती ही मीडिया से लगातार रूबरू हो रही थीं. जिस वजह से उन्होंने देशभर की मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था और काफ़ी लंबे वक़्त तक अखबारों की सुर्खियां बटोरी.
साल 1984 में महबूबा की शादी अपने वालिद के कज़िन जावेद इक़बाल शाह से हुई थी. हालांकि वो अपनी बीवी से सात साल छोटे थे और रिश्ते में महबूबा के अंकल लगते थे .इस शादी से दोनों को दो बेटियां हुईं- इर्तिका और इल्तिज़ा. बड़ी बेटी इर्तिका लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में काम करती हैं. छोटी बेटी इल्तिज़ा बॉलीवुड फिल्मोद्योग से जुड़ी हैं.
महबूबा और इक़बाल के रिश्तें में ख़ालीपन आने लगा, वजह थी महबूबा के वालिद मुफ्ती मोहम्मद सईद. मुफ्ती सईद अपनी बड़ी बेटी को अपने सियासी वारिस के रूप में देख रहे थे. वहीं इक़बाल को क़तई पसंद नहीं था कि उनकी बीवी राजनीति में क़दम रखें. लेकिन महबूबा सियासत में आगे बढ़ती चली गईं और दोनों के रिश्ते में ख़ालीपन ने जगह बना ली. वो शौहर का घर छोड़ वालिद के पास जा पहुंची. आखिर में बचा हुआ नाम का रिश्ता अदालत के चौखटे पर पहुंचकर ख़त्म हो गया.