kashmiri Apple: जम्मू-कश्मीर वर्ल्ड में एप्पल के सबसे बड़े प्रोडक्शन मार्केट में से एक है. कश्मीर से ही इंडिया के कोने कोने में सेब की सप्लाई होती है. इसके बावजूद यहां के सेब किसानों को इस साल मायूस होना पड़ा. कश्मीर में इस साल सेब की भारी पैदावर हुई लेकिन इसके बावजूद सेब की बंपर पैदावर किसानों को खुश नहीं कर पाई. इस साल सेब की क़ीमतों में पिछले साल के मुताबिक लगभग 30% गिरावट आई है. इस भारी गिरावट से होने वाले नुकसान का सामने कर रहे सेब किसानों ने अब सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है सेब फसल
देश का 75% सेब की फसल कश्मीर में ही होती है. इसलिए कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी सेब की फसल को ही माना जाता है. चैंबर ऑफ आज़ादपुर फल एवं सब्ज़ी व्यापारी अध्यक्ष मेथा राम कृपलानी ने बताया, ‘‘इस सत्र में कश्मीर से आने वाले सेब की दरें साल 2021 की तुलना में लगभग 30% कम हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. सरकार कि मदद के बिना नुकसान को दूर करना उनके लिए बहुत मुश्किल है.''
पैकेजिंग और ट्रांसपोर्ट चार्ज के खर्चे से मुनाफे में कमी
कृपलानी दिल्ली कृषि मार्केटिंग बोर्ड के मेंबर और कश्मीर एप्पल मर्चेंट एसोसिएशन के चेयरमैन भी हैं. उन्होंने कीमतों में कमी कि कई वजह बताई. उन्होंने कहा, ‘‘जारी साल में अच्छी क्वालिटी वाली बंपर फसल हुई थी लेकिन पिछले साल के मुताबिक पैकेजिंग और ट्रांसपोर्ट चार्ज जैसे खर्च लगभग दोगुने हो गए हैं. कीमतें सीधे सप्लाई और मांग से जुड़ी हुई हैं और सप्लाई ज़्यादा है, इसलिए उत्पाद की दर लगभग 30% कम हो गई है.''
सरकार से मदद की गुहार
कश्मीर घाटी फल उत्पादकों और डीलर्स यूनियन के बडगाम जिला इंचार्ज बाबा ने कहा, ‘‘सरकार को आगे आना होगा और हमें बचाना होगा, वरना मौजूदा हालातों को देखते हुए इस भारी नुकसान से उबरना बहुत मुश्किल है.''