कश्मीर में गुलाबी ठंड ने दी दस्तक, चिनार के पत्तों ने बढ़ाई वादी की खूबसूरती

Written By Tahir Kamran Last Updated: Nov 06, 2022, 11:28 AM IST

Jammu Kashmir: कश्मीर की हसीन वादियां हर मौसम में ही टूरिस्ट को अपनी तरफ खींचती है और अगर बात की जाए आजकल के मौसम की तो वाक़ई में घाटी किसी जन्नत से कम नहीं है. इस मौसम में कश्मीर लाल रंग के चिनार के पत्ते से ढका हुआ है. जिसे देखने के लिए टूरिस्ट का आना जाना लगा हुआ है. पतझड़ का यह मौसम न सिर्फ कश्मीर की खूबसूरती में चार चांद लगा रहा है बल्कि कश्मीर घूमने आए टूरिस्ट का मन भी मोह ले रहा है. 

कश्मीर का यह नज़ारा यक़ीनन आपको किसी घर की दीवार पर लगी पतझड़ वाली सीनरी का एहसास देगी. कश्मीर 12 महीनों ही ठंडा रहता है लेकिन जब और राज्यों में विंटर सीज़न की शुरुआत होता है तो कश्मीर अपने एक अलग ही अंदाज़ में आ जाता है. यही वजह है कि यहां घूमने आए लोगों का यहीं बसने का मन कर जाता है. अक्टूबर के महीने में ही कश्मीर में मौजूद चिनार के पत्तों का रंग बदलना शुरू कर देता है. यह इस पतझड़ नज़ारे की पहली शुरुआत होती है. धीरे-धीरे चिनार के पत्ते लाल रंग में बदल जाते हैं और जब यह लाल पत्ते ज़मीन पर गिरने शुरू हो जाते हैं उसी के साथ कश्मीर में ठंड का आग़ाज़ हो जाता है. 

कांगड़ी और फेरन की शुरुआत


इस पतझड़ के मौसम का लुत्फ उठाने के लिए दुनियाभर के लोग कश्मीर आने की तैयारियों में जुट जाते हैं तो वहीं कश्मीरी लोग ठंड से बचने के अलग अलग तरीके अपनाना शुरू कर देते हैं. कश्मीरी लोग फेरन और कांगड़ी का इस्तेमाल नवंबर की शुरुआत से लेकर फरवरी के महीने तक करते है. 

सर्दी और गर्मी में काम आते हैं चिनार के पत्ते


कश्मीर के चिनार के पत्ते जहां एक तरफ कश्मीर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं तो वहीं इसकी एक और ख़ासियत है. जो कश्मीर के हर मौसम में काम आती है. पतझड़ का मौसम ख़त्म होने के बाद यानी सारे पत्ते गिर जाने के बाद इनको जलाकर कोयला बना लिया जाता है जो सर्दियों में कश्मीर में कांगड़ी में काम आते है और गर्मियों में ये ही पत्ते ठंडा रखते हैं और अब गर्मी ख़त्म होने के बाद भी ये सर्दी से बचाएंगें.          

लुत्फ उठा रहे टूरिस्ट की खुशी


हिमाचल से कश्मीर घूमने आए अमित कुमार के मुताबिक यह नज़ारा उन्होंने सिर्फ फिल्मों में देखे थे और आज वह खुद अपनी आंखों से चिनार के रंग बदलते पत्ते को देखे रहे हैं. "यह नज़ारा इतना ज़्यादा हैं कि कैमरे में कैद करने के बाद भी बाकी सब सिर्फ आंखों में कैद कर सकते हैं".