Hazratbal Dargah: ख़ूबियों से भरे कश्मीर की एक ऐसी ख़ूबसूरत और ऐतिहासिक दरगाह जिसके दरवाज़े सभी के लिए खुले रहते हैं. मुस्लिम समुदाय की सभी दरगाहों में से सबसे ख़ास दरगाह हज़रतबल दरगाह को माना जाता है. जो कि कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में मशहूर डल झील के किनारे मौजूद है. इसकी ख़ासियत ये है कि इसे सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि और धर्म के लोग भी मानते हैं. कश्मीर घूमने आए लोग इस दरगाह का दीदार करे बिना वापिस नहीं लौटते हैं. हज़रतबल को मदिनात-अस-सनी, असर-ए-शरीफ़, और दरगाह शरीफ़ के नाम से भी जाना जाता है. लोगों का यक़ीन है कि यहां मांगी हुई मन्नत ज़रूर पूरी होती है. आज हम आपको इस दरगाह के इतिहास से लेकर इसकी खासियत और बनावट तक के बारे में बताएंगे.
इस दगराह का इतिहास काफी पुराना माना जाता है. कहा जाता है कि इस दरगाह में इस्लाम के आख़िरी नबी पैगम्बर मोहम्मद का दाढ़ी का बाल मौजूद है. पैगम्बर मोहम्मद के दाढ़ी के बाल को सैयद अब्दुल्ला कश्मीर लाए थे. सैयद अब्दुल्ला ने उस बाल को दरगाह में दफना दिया था.
इसकी बनावट बहुत ही ख़ूबसूरत है क्योंकि इसमें कश्मीरी कारीगरी और मुग़ल आर्कीटेक्चर की मिलावट है. इसे सफेद संगमरमर से बनाया गया है. इसके अंदर जाने के लिए कई दरवाज़े मौजूद है. दरगाह के आसपास कई ख़ूबसूरत गार्डन और इश्रातत महल हैं, जिसका नज़ारा हर किसी का दिल लुभाता है. पहली झलक में ये दरगाह आपको आगरा के ताजमहल से कम नहीं लगेगी.
अगर आप इस दरगाह को देखने जाना चाहते हैं, तो दरगाह में जाने से पहले आपको अपना सिर ढकना होगा. आपको दगराह का दीदार करने के लिए कोई टिकट नहीं लेना होगा. अपने साथ कोई पहचान पत्र ज़रूर रखें. ख़्याल रहे यहां कोई भी ख़ातून नहीं जा सकती क्योंकि ये दरगाह के साथ-साथ एक मस्जिद भी है.
डिस्क्लेमर: इस दरगाह को लोग बहुत मानते हैं, साथ ही यहां हर दुआ कुबूल होने को लेकर हम किसी भी तरह का दावा नहीं करते हैं. यह ख़बर आम मान्यताओं के आधार पर लिखी गई है.