जेहलम नदी के किनारे स्थित डोबजी घाट से फतेह कदल तक श्रीनगर के गरीब विस्थापित परिवार अब अपने आश्रय के लिए 16 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं. इन परिवारों ने राखे अर्थ बेमिना श्रीनगर इलाके में रेसिडेंशियल प्लॉट्स मिलने में हो रही देरी के खिलाफ श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन किया.
आपको बता दें ये 120 परिवारों के निवासी धुली घाट के दाएं और बाएं तरफ झोपड़ियों में रह रहे थे. वर्ष 2008 में, सरकारी सर्वेक्षण के बाद, सहायक कार्यकारी अभियंता सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने इन 120 शेडों को ध्वस्त कर दिया था, जिसमें ये परिवार रह रहे थे. इसके बावजूद, अब तक इन परिवारों को राखी अर्थ भूमि पर पुनर्वासित करने में कोई प्रगति नहीं हुई है. जेहलम रिवरसाइड हाउस रिहैबिलिटेशन यूनियन के अध्यक्ष बिलाल अहमद ने बताया कि अधिकारियों ने इन परिवारों के पुनर्वास के लिए आदेश जारी किए हैं, लेकिन इसका कार्यान्वयन अभी तक नहीं हुआ है. वह इस मुद्दे में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से हस्तक्षेप करने की अपील कर रहे हैं. निवासियों ने राष्ट्रपति बिलाल अहमद से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है.
बिलाल अहमद ने कहा, "जब हमने संबंधित कार्यालयों का दौरा किया, तो उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि एचएलसी की बैठक के बाद हमारे मुद्दों का समाधान किया जाएगा, हालांकि, कई प्रयासों के बाद बैठक हुई और हमारे पक्ष में एक आदेश भी जारी किया गया, लेकिन केवल कुछ का ही का पुनर्वास किया गया और हममें से अधिकांश को बिना ध्यान दिए छोड़ दिया गया.
इस संघर्ष के दौरान, निवासी इस मामले को राष्ट्रपति, उपराज्यपाल, और संबंधित अधिकारीयों के सामने लेकर अपनी मांगों को उच्च स्थानीय स्तर पर पहुंचाने के लिए प्रयासशील हैं. इन परिवारों के लिए यह समय बहुत ही कठिनाईयों भरा है, क्योंकि इन्हें अपने आश्रय से हटाया जाने का खतरा है और ठंड की जड़ों में इन लोगों का जीवन और भी कठिन हो गया है.