Jammu and Kashmir : साल 2008 का असेंबली इलेक्शन जम्मू कश्मीर में बीजेपी के उभार के तौर पर याद किया जाता है. एक सीट वाली पार्टी अपने कामयाब उम्मीदवारों की तादाद डबल डिजिट तक ले जाने में कामयाब रही. कश्मीर में पीडीपी अपनी पोजीशन और मजबूद करती दिखी. जम्मू में बीजेपी और कश्मीर में पीडीपी की बढ़ती लोकप्रियता कांग्रेस के लिए खतरे की घंटे साबित हुई. इस इलेक्शन के बाद से ही कांग्रेस अपनी सियासी जमीन तलाशने में लगी हुई है. बता दें कि जम्मू कश्मीर का ये सबसे लंबा असेंबली चुनाव था जो 17 नवंबर से 24 दिसंबर के बीच सात चरणों में हुआ था...
2008 के असेंबली चुनाव का पसमंजर भी चुनावी पार्टियों में बिखराव का था. 2002 के चुनाव के बाद पीडीपी और कांग्रेस गठबंधन की हुकूमत बनी थी. गठबंधन के तहत पहले तीन साल मुफ्ती मोहम्मद सईद ने हुकूमत की अध्यक्षता की. जिसके बाद गुलाम नबी आज़ाद मुख्यमंत्री बने. लेकिन हुकूमत का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पीडीपी ने जुलाई में अमरनाथ लैंड ट्रांसफर मुद्दे को लेकर सरकार से समर्थन वापस ले लिया.
सख्त सिक्योरिटी बंदोबस्त के बीच हुए इस चुनाव में 61.16 फीसद वोटिंग हुई. कुल 64 लाख 61 हजार 757 वोटर्स अपना वोट डालने के लिए पोलिंग बूथ तक आए. हुर्रियत के बायकॉट के बावजूद, 2002 के मुकाबले इस चुनाव में 17.46 फीसद ज्यादा वोटिंग हुई.
नेशनल कॉन्फ्रेंस को इस चुनाव में सीटों का तो नुकसान नहीं हुआ लेकिन 2002 की बनिस्बत 2008 में पार्टी के वोटों में 5.17 फीसद की गिरावट आ गई. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 28 सीटों पर जीत हासिल की और उसने 23.07 फीसद वोट हासिल किया. इसका सीधा फायदा पीडीपी को मिला, जो एनसी के वोट बैंक में सेंध लगा चुकी थी. पार्टी को इस बार 6.11 फीसद ज्यादा वोट मिले. जिसकी बदौलत पीडीपी की सीटों की तादाद 16 से बढ़ कर 21 हो गई.
चुनाव में पीडीपी को कुल 15.39 फीसद वोट मिले. एनसी ने इल्जाम लगाया कि शिद्दत पसन्द तंजीमों ने पीडीपी की हिमायत की. अमरनाथ लैंड ट्रांसफर मुद्दे को भुनाते हुए बीजेपी ने जम्मू रीजन में जबरदस्त कामयाबी हासिल की. 12.45 फीसद वोट लेकर बीजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की. इस इलेक्शन में बीजेपी को मिले वोटों में 3.88 फीसद का इजाफा हुआ. बीजेपी के अलावा भीम सिंह की जेके नेशनल पैंथर्स पार्टी ने भी 3.33 फीसद वोट लेकर तीन सीटों पर कामयाबी हासिल की. इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हुआ. कांग्रेस के वोट प्रतिशत में 6.53 फीसद की कमी आई.
इसके अलावा, 3 सीटों का भी नुकसान हुआ. वोट फीसद के लिहाज से जम्मू कश्मीर की वो अभी भी दूसरी पार्टी बनी हुई थी. 17.71 फीसद वोट लेकर कांग्रेस ने 2008 के इलेक्शन में 17 सीटों पर जीत हासिल की. हंग असेंबली के चलते कांग्रेस अपने 17 एमएलए के साथ किंग मेकर की पोजीशन में थी. पीडीपी ने कांग्रेस को मुख्यमंत्री के ओहदे की पेशकश की लेकिन केंद्र में कांग्रेस की हुकूमत ने मैंडेट का एहतेराम करने की बात कहते हुए सबसे बड़ी जमाअत के नाते नेशनल कॉन्फ्रेस के साथ जाने का फैसला किया.
फारूक अब्दुल्ला ने खानदानी रवायत को बरकरार रखते हुए उमर अब्दुल्ला के हाथों में पार्टी की कमान सौंप दी. जिसका नतीजा ये हुआ कि 30 दिसंबर को महज़ 38 साल की उम्र में उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के सबसे कम उम्र मुख्यमंत्री होने का रिकार्ड हासिल किया.