कश्मीर की काराकुली टोपी बनती है किस्मत वालों के सिर का ताज

Written By Rishikesh Pathak Last Updated: Apr 20, 2023, 05:37 PM IST

ये जो तस्वीर आप देख रहे है,इस तस्वीर में जो एक खास किस्म की टोपी आपको दिखाई दे रही है। ये बहुत खास है,खास होने के साथ ही ये बहुत रेयर है,बहुत ही कम लोगों के सिर पर आपने इस तरह की टोपी को सजते हुए देखा होगा । इस तरह की टोपी को बड़े ही महीन तरीके से काम करके तैयार किया जाता है । इसकी टोपी उसके सर और उसकी टोपी उसके सर ये मुहावरा तो आपने कई बार सुना होगा, लेकिन किसी सर पर पहनी जाने वाली टोपी की कीमत आप कितनी लगा सकते है। अन्दाजा लगाइये और लगाइये कीमत, और बताइयें क्या कीमत हो सकती है। हैरानी और परेशानी में पड़ने की जरूरत नहीं है, संस्पेस को खत्म करते हुये हम आपको इसकी कीमत बता ही देते है, लेकिन सुनिएगा जरा ध्यान से, ये कश्मीर की खास टोपी है, जिसे काराकुली टोपी कहते है और इस टोपी की कीमत 5 हजार से शुरू होकर 50 हजार तक हो सकती है या फिर उससे भी ज्यादा हो सरती है । कश्मीर की शाही टोपी माने जाने वाली काराकुली टोपी मान सम्मान का एक प्रतीक है । कारकुल शब्द क़राकुल भेड़ की नस्ल से निकला है, और इस टोपी को बनाने में इसी कराकुल भेड़ और मेमनों की खाल का इस्तेमाल किया जाता है। पहले काराकुली टोपी मूल रूप से रूस की रवायत में शामिल थी । मध्य एशियाइ और अफगानों ने इसे वहीं से बनाना सीखा है ।

काराकुल्ली ने उज्बेकिस्तान के बुखारा से मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक अपना रास्ता बनाया । इस सफर से गुजरते हुये, ये कश्मीर की संस्कृति का एक अविभाज्य हिस्सा बन गया । कश्मीरी शादियों में इसकी रवायत है । दुल्हन पक्ष के लोग इसे दूल्हे को सम्मान के रूप में देते है । इस टोपी को पहनना और किसी को देना दोनों सम्मान और गर्व की बात मानी जाती है । कश्मीरी बच्चो को इसे पहनने की इजाजत नहीं है । कुछ लोग इसे पहनना रईसी से भी जोड़ते है, और ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी कीमत सामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर है ।  श्रीनगर के नवां बाजार इलाके में मशहूर दुकान 'जॉन केप हाउस' इसी अनोखी टोपी की 125 साल पुरानी दुकान है। मुजफ्फर जॉन बताते है कि पहले उनके दादा ये काम करते थे फिर उनके पिता ने इस काम को उनसे सीखा और उसके बाद वो खुद इस काम को कर रहे है। काराकुली टोपी बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फर की कीमत जितनी अधिक होती है । उसकी टोपी उतनी ही बेहतर गुणवत्ता वाली बनती है।  हल्के चिकनेपन की विशेषता जिसमें तंग कर्ल, मखमली बनावट और चमकदार चमक होती है , वैसी कराकुली टोपी अपने आप में एक फैशन स्टेटमेंट है।

कुल मिलाकर यह कश्मीरियों के लिए एक बेशकीमती टोपी है। यह देखा गया है कि ज्यादातर मुख्यधारा के राजनेता कराकुल टोपी पहनना पसंद करते हैं। एक कश्मीरी दूल्हे के लिए अपनी दुल्हन के ससुराल आने का इंतजार करते हुए अपनी दस्तर को उतारना और उसकी जगह कराकुल टोपी पहनना ये पहले के लिए आम बात होती थी, हाल के दौर में काराकुली टोपी का चलन थोड़ा कम हो गया है। मुजफ्फर जॉन बताते है कि, इस विशेष टोपी की तीन किस्में है  पहली जिन्ना शैली है  दूसरी अफगान कारकुल है,  और तीसरी रूसी कराकुल है । उनकी दुकान में बनी टोपियां मुहम्मद अली जिन्ना और वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई प्रमुख हस्तियों द्वारा पहनी गई हैं । वो बताते है कि उनके दादाजी ने 1944 में जिन्ना के लिए एक कराकुल टोपी बनाई थी । उनके पिता ने 1984 में राजीव गांधी के लिए एक कराकुल टोपी बनाई थी, और उन्होंने खुद 2014 में डॉ फारूक अब्दुल्ला,उमर अब्दुल्ला,  मीरवाइज, गुलाम नबी आजाद और उनके अलावा कई मशहूर लोगों के लिए एक कराकुल टोपी बनाई थी । काराकुली टोपी की रवायत सदियों पुरानी है। इसका प्रचलन कुछ कम जरूर हुआ है लेकिन आज भी कश्मीर के लोग इस टोपी को अपने सिर का ताज समझते हुये इसको अपनी आन बान शान से जोड़ते है।