अनंतनाग : जिन्दगी को जीने में आने वाली तमाम मुश्किलात का सामना करते हुए व्यक्ति आगे बढ़ने की कोशिश में लगातार संघर्ष करता रहता है। ऐसा करते हुए वो कई बार इनोवेशन का सहारा लेता है । ऐसे ही कई इनोवेशन को अन्जाम देने वाले, हम दो जुड़वा भाइयों के बारें में आपको बताने वाले हैं जिन्होंने एक दो नहीं बल्कि 36 से ज्यादा ऐसे इनोवेशन को अन्जाम दिया है जो रोजमर्रा की जिन्दगी में लोगों के काम आते हैं ।
कश्मीर के रहने वाले दो जुड़वां भाई रफ़ाज़ वानी और इश्फ़ाक वानी के काम को लेकर उनकी प्रशंसा देश के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी की थी। अब तक करीब 36 से ज्यादा इनोवेशन कर चुके इन भाइयों का लक्ष्य 500 से ज्यादा इनोवेशन करने का है और वे अपने इस लक्ष्य को लेकर लगातार कोशिश कर रहे हैं।
आज अपने इनोवेशन्स के लिए पहचान पा रहे इन दोनों भाइयों के लिए शुरुआती जीवन बिल्कुल आसान नहीं था। घर की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते रफ़ाज़ और इश्फ़ाक अपने पिता अहमद के साथ मजदूरी में हाथ बटाया करते थे। मीडिया से बात करते हुए इन भाइयों ने बताया है कि उनके पिता बड़ी मुश्किल से उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया करते थे।
डॉ. कलाम ने दिया सुझाव
इनके इनोवेशन से प्रभावित होकर देश के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें 'क्रिएटिव ट्विन्स ऑफ इंडिया' के नाम से भी संबोधित किया था। इस दौरान डॉ. कलाम ने उन्हें विज्ञान की और अधिक पढ़ाई करने की सलाह दी थी।
26 साल के रफ़ाज़ अहमद वानी और इशफ़ाक अहमद अनंतनाग शहर के राइट ब्रदर्स के रूप में मशहूर है, इन्होंने पंजाब टैकनिकल यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री पूरी की है। रफाज, जिन्होंने पीटीयू पंजाब में ऑटोमेशन और रोबोटिक इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की है, ने बताया कि उन दोनों का झुकाव बचपन से ही इनोवेशन और टैकनॉलजी की ओर था। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी यात्रा तब शुरू की जब वे एक स्थानीय गांव के स्कूल में सिर्फ 5वीं कक्षा में पढ़ रहे थे।
इलाके में जब उनको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ तब वो 2010 में कश्मीर यूनिवर्सिटी के प्रो जीएम भट हम दोनों को इंस्पायर प्रोगाम में ले गए और उन्होंने हमारी सराहना की, उन्होंने मान सम्मान देने के साथ ही फाइनेंशियल मदद भी की। आगे वो बताते है कि "इसके बाद हमने अहमदाबाद में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) को 36 इनोवेशन दिए और सभी को नेशनल लेवल के लिए चुना गया और 15 के लिए दोनों भाईयों को सम्मानित भी किया गया ।
मिट्टी के खिलौनों से हुई शुरुआत
बचपन के दिनों में रफ़ाज़ और इश्फ़ाक के लिए उनके पिता मिट्टी के खिलौनों का निर्माण किया करते थे, दोनों भाइयों ने अपने पिता को देखते हुए मिट्टी के खिलौनों का निर्माण शुरू कर दिया। दोनों भाइयों ने जल्द ही इसमें हुनर हासिल किया और अपने बनाए हुए खिलौनों को वे बाज़ार में भी बेंचने लगे, जिससे क्षेत्र में उन्हें जल्द ही लोकप्रियता भी हासिल होने लगी।
उसी समय दोनों भाइयों ने अपने गाँव में आई एक खास 'अर्थ मूवर' मशीन को देखा और उस मशीन के गड्ढा खोदने के तरीके ने दोनों भाइयों को आश्चर्यचकित कर दिया। इसे देखकर इन भाइयों ने इस मशीन का अनोखा मॉडल तैयार किया जिसे चलाने के लिए किसी भी तरह के ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती थी। गौरतलब है कि यह मशीन दो मजदूरों का काम निपटाने में सक्षम थी।
जीती कई प्रतियोगिताएं
साल 2010 के दौरान इन दोनों भाइयों के जीवन में बड़ा बदलाव तब आया जब वे कश्मीर यूनिवर्सिटी के जाने-माने प्रोफेसर जीएम भट्ट से मिले, जिन्होने उन्हें इनोवेशन को लेकर भारत सरकार की एक खास पहल में हिस्सा लेने का सुझाव दिया। इस पहल के जरिये दोनों भाइयों को सरकार की तरफ से आर्थिक मदद भी हासिल हुई।
समय के साथ दोनों भाइयों ने कई इनोवेशन किए और तमाम प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर कई पुरस्कार भी जीते। दोनों भाइयों ने इस दौरान एक खास बोतल का भी आविष्कार किया था, जिसमें एक ही साथ चार तरह के पदार्थों को रखा जा सकता है।
दोनों भाई अपने इन इनोवेशन्स के दम पर साल 2012, 2013 और 2014 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुके हैं, इसी के साथ उन्हें कनाडा और तुर्की जैसे देशों में भी पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
मीडिया के साथ हुई बातचीत में इन भाइयों ने बताया है कि फिलहाल वे अपने इन इनोवेशन्स को पेटेंट कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें अपने इनोवेशन्स के लिए भी बाहरी फंड और मदद के भरोसे रहना पड़ता है। वित्तिय मदद न मिलने के कारण दोनों भाईयों को कभी निराश भी होना पड़ता है लेकिन अपने आप में जूनूनी दोनों भाई किसी से भी कम नहीं है वो आगे बढ़कर दुनिया की तमाम चुनौतियों का सामना करने की कोशिश करते हैं। इन दोनों भाईयों ने एक क्लब बनाया हुआ है जिसका नाम है ट्वीन बदर्स इनोवेशन क्लब रखा है।