Aditya-L1 Launch: क्या है ISRO के आदित्य L1 का मकसद? ISRO ने लॉन्च के लिए क्यों चुना श्रीहरिकोटा?

Written By Last Updated: Sep 02, 2023, 01:59 PM IST

Aditya-L1 Launch Updates: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूरज की पड़ताल के लिए देश का पहला सूर्य मिशन दाग दिया है. ISRO ने शनिवार सुबह ठीक 11 बजकर 50 मिनट पर आदित्‍य एल-1 (Aditya-L1) को लॉन्‍च कर सूरज की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए हैं. इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से लॉन्च किया गया. अपने इस मिशन के लिए ISRO ने Aditya-L1  को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए लॉन्‍च किया. 

भारत के लिए बेहद खास ISRO का Aditya-L1 सूरज का अध्ययन करेगा. अब से ठीक 4 महीने बाद Aditya-L1 अपनी मंजील यानि L1 पॉइंट तक पहुंचेगा. जहां ये मिशन से जुड़े अपने मकसद को पूरा करेगा. ख़ास बात ये है कि Aditya-L1 के पीछे ISRO का एक बड़ा मकसद है. तो चलिए पता करते हैं, क्या है ISRO के आदित्य L1 का मकसद? और ISRO ने लॉन्च के लिए क्यों चुना श्रीहरिकोटा?

Made in INDIA Aditya-L1

ISRO का Aditya-L1 पूरी तरह से मेड इन इंडिया है. आदित्य को बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) ने बनाया है. इसरो ने बताया, आदित्य L-1 सूरज का अध्ययन करने के लिए फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूरज की सबसे बाहरी परत यानि कोरोना का निरीक्षण करेगा. जिसके लिए Aditya-L1 में सात पेलोड मौजूद है. जिसमें से 4 तो सूरज पर नज़र रखने का काम करेंगे तो बाकि के 3 L-1 पॉइंट के आसपास के वातावरण का अध्ययन करेंगे.

क्‍या है आदित्‍य-L1 नाम का राज?

दरअसल, सूरज पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ कि.मी. दूर है. इस दूरी के बीच साइंटिस्टों ने 5 लैग्रेंज प्वॉइंट्स तय किए हैं. इन प्वॉइंट्स को इन्‍हें L1, L2, L3, L4 और L5 पॉइंट कहा जाता है. जिसमें L1 का मतलब 'लाग्रेंज प्वॉइंट 1' है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष में एक लैग्रेंज प्वॉइंट वो जगह है, जहां दो बड़े प्लेनेट्स (जैस सूरज और धरती) के बीच का गुरुत्वाकर्षण बराबर हो जाता है. जहां पहुंचकर कोई भी अंतरिक्ष यान पृथ्वी की ही तरह सूरज का चक्कर लगाऐगा. और यहीं से भारत का Aditya-L1 भी सूरज का सालों तक अध्ययन कर सकेगा.   

ये है Aditya-L1 का मकसद

- ISRO का Aditya-L1 सूरज के वायुमंडल का अध्ययन करेगा. 
- ISRO यहां से सूरज की क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी और हीट फ्लेयर्स का अध्यय करेगा.
- ये सूरज के कोरोना की फिजिक्स और तापमान का अध्ययन करेगा.
- इसके अलावा सूरज के आसपास उठने वाली हवाओं, उनकी संरचना और उनकी गतिशीलता का अध्यय करेगा.

क्यों चुना श्रीहरिकोटा?

दरअसल, ISRO के लिए श्रीहरिकोटा की लोकेशन ही उसकी USP है. इसकी वजह ये है कि ये इक्वेटर से करीब है. और दुनिया की ज्यादातर सैटेलाइट्स इक्वेटर के पास से ही धरती का चक्क लगाती हैं. इसके साथ ही श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग करने पर ISRO के इन  मिशन्स की लागत बहुत कम हो जाती है. इसके साथ ही यहां से लॉन्चिंग पर किसी भी मिशन का सक्‍सेस रेट भी ज्यादा होता है.